भजन 19:1-14

दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत। 19  आसमान परमेश्‍वर की महिमा बयान करता है,+अंबर उसके हाथ की रचनाओं का ऐलान करता है।+   दिन-भर उसकी तारीफ में उनके बोल उमड़ते हैं,रात को वे ज्ञान की बातें फैलाते हैं।   उनकी न कोई बोली है, न कोई शब्द,उनकी आवाज़ नहीं सुनायी देती।   फिर भी उनकी आवाज़* सारी धरती पर गूँजती है,उनका संदेश धरती* के कोने-कोने तक पहुँचता है।+ परमेश्‍वर ने आकाश में सूरज के लिए तंबू ताना है,   सूरज उस दूल्हे की तरह दमकता है जो अपने कमरे से बाहर आता है,वह शूरवीर की तरह है जो दौड़ दौड़ने के लिए उमंग से भरा है।   वह आसमान के एक छोर से उगता हैऔर चक्कर काटता हुआ दूसरे छोर तक जाता है,+कुछ भी ऐसा नहीं जिस तक उसकी गरमी न पहुँचे।   यहोवा का कानून खरा* है,+ जान में जान डाल देता है।+ यहोवा जो हिदायत याद दिलाता है वह भरोसेमंद है,+जिन्हें कोई तजुरबा नहीं है उन्हें भी बुद्धिमान बना देती है।+   यहोवा के आदेश नेक हैं, मन को आनंद से भर देते हैं,+यहोवा की आज्ञा शुद्ध है, आँखों में चमक लाती है।+   यहोवा का डर+ पवित्र है, सदा बना रहता है। यहोवा के फैसले सच्चे हैं, हर तरह से सही हैं।+ 10  वे सोने से भी ज़्यादा चाहने लायक हैं,ढेर सारे शुद्ध* सोने से भी मनभावने।+वे मधु से भी मधुर हैं,+छत्ते से टपकते शहद से भी ज़्यादा मीठे। 11  वे तेरे सेवक को आगाह करते हैं,+उन्हें मानने से बड़ा इनाम मिलता है।+ 12  अपनी गलतियों का एहसास किसे होता है?+ मुझसे अनजाने में जो पाप हुए हैं उन्हें माफ करके मुझे निर्दोष ठहरा। 13  अपने सेवक को गुस्ताखी करने से रोक+ताकि यह फितरत मुझ पर हावी न हो जाए।+ तब मैं घोर पाप* करने से बचा रहूँगाऔर निर्दोष बना रहूँगा।+ 14  हे यहोवा, मेरी चट्टान+ और मेरे छुड़ानेवाले,+मेरे मुँह की बातें और मन के विचार हमेशा तुझे भाएँ।+

कई फुटनोट

या शायद, “नापने की डोरी।”
या “उपजाऊ ज़मीन।”
या “परिपूर्ण।”
या “ताए हुए।”
या “भारी अपराध।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो