नीतिवचन 25:1-28

25  ये भी सुलैमान के नीतिवचन हैं।+ यहूदा के राजा हिजकियाह+ के आदमियों ने इनकी नकल तैयार की थी:*   परमेश्‍वर की शान इसमें है कि वह किसी बात को राज़ रखे+और राजाओं की शान इसमें है कि वे मामले की छानबीन करें।   जैसे आकाश की ऊँचाई और धरती की गहराई जानना नामुमकिन है,वैसे ही राजाओं के दिल में क्या है, यह जानना मुमकिन नहीं।   पिघलायी हुई चाँदी से मैल दूर कर,तब वह पूरी तरह शुद्ध हो जाएगी।+   राजा के सामने से दुष्टों को निकाल दे,तब नेकी से उसकी राजगद्दी कायम रहेगी।+   राजा के सामने अपनी बड़ाई मत कर,+न ही बड़े-बड़े लोगों के बीच जगह ले,+   किसी रुतबेदार आदमी के सामने राजा तुझे बेइज़्ज़त करे, इससे तो अच्छा है कि वह खुद तुझसे कहे, “यहाँ ऊपर आकर बैठ।”+   अपने पड़ोसी से मुकदमा लड़ने में जल्दबाज़ी मत कर,अगर उसने तुझे गलत साबित कर दिया, तब तू क्या करेगा?+   अपने पड़ोसी के सामने अपने मुकदमे की पैरवी कर,+लेकिन जो राज़ की बात तुझे बतायी गयी है, उसे मत खोल,*+ 10  कहीं तू कोई झूठी बात* न फैला दे, जिसे वापस न लिया जा सकेऔर सुननेवाला तुझे शर्मिंदा करे। 11  जैसे चाँदी की नक्काशीदार टोकरी में सोने के सेब,वैसे ही सही वक्‍त पर कही गयी बात होती है।+ 12  जैसे सोने की बाली और बढ़िया सोने के ज़ेवर अच्छे लगते हैं,वैसे ही बुद्धिमान की डाँट उस कान को अच्छी लगती है जो उसे सुनता है।+ 13  जैसे कटाई के वक्‍त बर्फ का ठंडा पानी तरो-ताज़ा करता है,वैसे ही विश्‍वासयोग्य दूत अपने मालिक को ताज़गी पहुँचाता है।+ 14  जो आदमी तोहफा देने की शेखी मारता है पर देता नहीं,*वह उस हवा और बादल की तरह है जो बारिश नहीं लाते।+ 15  सब्र से काम लेकर सेनापति को कायल किया जा सकता है,कोमल बातें हड्डी को भी तोड़ देती हैं।+ 16  अगर तुझे शहद मिले तो उतना ही खा जितना तुझे चाहिए,क्योंकि ज़्यादा खाने से तू उलटी कर देगा।+ 17  किसी के घर बार-बार मत जा,कहीं वह तंग आकर तुझसे नफरत न करने लगे। 18  जो आदमी अपने पड़ोसी के खिलाफ झूठी गवाही देता है,वह युद्ध के लट्ठ, तलवार और नुकीले तीर जैसा है।+ 19  जो भरोसे के लायक नहीं होता,*उस पर मुसीबत के वक्‍त आस लगाना,टूटे दाँत या लँगड़ाते पैर पर आस लगाने जैसा है। 20  उदास मनवाले को गाना सुनाना ऐसा है,मानो ठंड में कपड़े उतारनाऔर खार* पर सिरका डालना।+ 21  अगर तेरा दुश्‍मन भूखा हो तो उसे रोटी खिला,अगर वह प्यासा हो तो उसे पानी पिला,+ 22  तब तू उसके सिर पर अंगारों का ढेर लगाएगा*+और यहोवा तुझे इसका इनाम देगा। 23  उत्तर से आनेवाली हवा मूसलाधार बारिश लाती हैऔर गप्पे लड़ानेवाले की ज़बान चेहरे पर क्रोध लाती है।+ 24  झगड़ालू* पत्नी के साथ घर में रहने से अच्छा है,छत पर अकेले एक कोने में रहना।+ 25  जैसे थके-माँदे के लिए ठंडा पानी,वैसे ही दूर देश से आयी अच्छी खबर होती है।+ 26  नेक इंसान जब दुष्ट से समझौता कर लेता है,तो वह मटमैले पानी के सोते और गंदे कुएँ जैसा बन जाता है। 27  ज़्यादा शहद खाना अच्छा नहीं,+न ही अपनी वाह-वाही करवाना आदर की बात है।+ 28  जो अपने गुस्से पर काबू नहीं रख सकता,वह उस शहर की तरह है जिसकी शहरपनाह टूटी पड़ी है।+

कई फुटनोट

या “इन्हें इकट्ठा किया और इनकी नकल तैयार की थी।”
या “दूसरों के राज़ मत खोल।”
या “तू दूसरों को बदनाम करने के लिए अफवाह।”
शा., “जो झूठ-मूठ का तोहफा देने की शेखी मारता है।”
या शायद, “जो धोखेबाज़ है।”
या “सोडा।”
यानी उसके सख्त दिल को पिघलाना और उसका गुस्सा शांत करना।
या “जान खानेवाली।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो