क्या ईश्‍वर की भक्‍ति करने के लिए मूर्तियों का सहारा लेना सही है?

क्या ईश्‍वर की भक्‍ति करने के लिए मूर्तियों का सहारा लेना सही है?

हम ईश्‍वर को देख नहीं सकते। और जिसे देख नहीं सकते, उसके करीब कैसे महसूस कर सकते हैं? क्या किसी मूरत को पूजने से हम ईश्‍वर के करीब आ सकते है?