लूका के मुताबिक खुशखबरी 1:1-80

1  आदरणीय थियुफिलुस,+ जिन सच्ची घटनाओं पर हम सब यकीन करते हैं, उन्हें लिखने का काम बहुत-से लोगों ने अपने हाथ में लिया।+  उसी तरह, जो लोग शुरूआत से इन बातों के चश्‍मदीद गवाह रहे+ और हमें परमेश्‍वर का संदेश सुनानेवाले सेवक बने, उन्होंने भी ये बातें हम तक पहुँचायी हैं।+  मैंने भी ठाना है कि मैं तुझे ये सारी बातें तर्क के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से लिखूँ, जिनके बारे में मैंने शुरूआत से सही-सही पता लगाया है+  ताकि तू पक्की तरह जाने कि जो बातें तुझे ज़बानी तौर पर सिखायी गयी थीं वे भरोसे के लायक हैं।+  जिन दिनों हेरोदेस+ यहूदिया पर राज कर रहा था, उन दिनों जकरयाह नाम का एक आदमी याजक था। वह अबियाह के दल का था+ और उसकी पत्नी का नाम इलीशिबा था, जो हारून के वंश से थी।   वे दोनों परमेश्‍वर की नज़र में नेक थे, क्योंकि वे यहोवा की सभी आज्ञाओं और कानूनों को मानते थे और उनका चालचलन बेदाग था।   लेकिन उनके कोई बच्चा नहीं था क्योंकि इलीशिबा बाँझ थी और वे दोनों बूढ़े हो चुके थे।+  अब ऐसा हुआ कि जकरयाह परमेश्‍वर के सामने याजक का काम कर रहा था क्योंकि यह उसके दल की बारी थी।+  याजकपद के रिवाज़ के मुताबिक जब धूप जलाने की उसकी बारी आयी,+ तो वह यहोवा के मंदिर के अंदर गया।+ 10  धूप जलाने के वक्‍त, लोगों की सारी भीड़ बाहर प्रार्थना कर रही थी।  11  तब जकरयाह के सामने यहोवा का स्वर्गदूत प्रकट हुआ। वह धूप की वेदी के दायीं तरफ खड़ा था।  12  उसे देखकर जकरयाह उलझन में पड़ गया और बहुत डर गया।  13  लेकिन स्वर्गदूत ने उससे कहा, “जकरयाह मत डर, क्योंकि तेरी मिन्‍नतें सुन ली गयी हैं। तेरी पत्नी इलीशिबा माँ बनेगी और तेरे लिए एक बेटे को जन्म देगी। तू उसका नाम यूहन्‍ना रखना।+ 14  तुझे बहुत खुशी मिलेगी और तू आनंद करेगा। बहुत-से लोग उस बच्चे के जन्म पर खुशियाँ मनाएँगे+ 15  क्योंकि वह यहोवा की नज़र में महान होगा।+ मगर उसे दाख-मदिरा या शराब बिलकुल नहीं पीनी है।+ वह अपनी माँ के गर्भ से ही* परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से भरपूर होगा।+ 16  वह बहुत-से इसराएलियों को उनके परमेश्‍वर यहोवा के पास वापस ले आएगा।+ 17  और वह एलियाह जैसे जोश* और शक्‍ति के साथ परमेश्‍वर के आगे-आगे जाएगा+ ताकि पिताओं का दिल पलटकर बच्चों जैसा कर दे+ और जो आज्ञा नहीं मानते उन्हें ऐसी बुद्धि दे जो नेक लोगों में होती है। इस तरह वह यहोवा के लिए ऐसे लोगों को तैयार करेगा जो उसके योग्य हों।”+ 18  तब जकरयाह ने स्वर्गदूत से कहा, “मैं इस बात का यकीन कैसे करूँ कि मैं पिता बनूँगा? क्योंकि मैं बूढ़ा हो चुका हूँ और मेरी पत्नी की भी उम्र ढल चुकी है।”+ 19  स्वर्गदूत ने उससे कहा, “मैं जिब्राईल हूँ+ और परमेश्‍वर के सामने हाज़िर रहता हूँ।+ मुझे तुझसे बात करने और यह खुशखबरी सुनाने के लिए भेजा गया है।  20  मगर देख! तू गूँगा हो जाएगा और जिस दिन तक ये बातें पूरी न हो जाएँ, उस दिन तक तू बोल नहीं सकेगा+ क्योंकि तूने मेरी बातों का यकीन नहीं किया, जो तय वक्‍त पर पूरी होंगी।”  21  इस दौरान लोग बाहर जकरयाह का इंतज़ार करते रहे। वे ताज्जुब करने लगे कि उसे मंदिर में इतनी देर क्यों लग रही है।  22  जब वह बाहर आया, तो कुछ बोल नहीं सका। वे समझ गए कि ज़रूर उसने अभी-अभी मंदिर में कोई दर्शन देखा* है। वह उनसे इशारों में बात करता रहा और गूँगा रहा।  23  जब उसकी पवित्र सेवा के दिन पूरे हुए, तो वह अपने घर लौट गया। 24  कुछ दिनों बाद उसकी पत्नी इलीशिबा गर्भवती हुई। वह पाँच महीने तक अपने घर से नहीं निकली। वह कहती थी,  25  “इन दिनों यहोवा ने मुझ पर मेहरबानी की है। उसने मुझ पर ध्यान दिया है ताकि लोगों के बीच से मेरी बदनामी दूर करे।”+ 26  इलीशिबा के छठे महीने में परमेश्‍वर ने जिब्राईल स्वर्गदूत+ को गलील के नासरत शहर में  27  एक कुँवारी+ के पास भेजा। उसकी मँगनी यूसुफ नाम के एक आदमी से हो चुकी थी जो दाविद के घराने से था। उस कुँवारी का नाम मरियम था।+ 28  जब वह स्वर्गदूत मरियम के सामने आया, तो उसने मरियम से कहा, “खुश रह! परमेश्‍वर की बड़ी आशीष तुझ पर है। यहोवा तेरे साथ है।”  29  मगर यह सुनकर वह बहुत घबरा गयी और सोचने लगी कि ऐसे नमस्कार का क्या मतलब हो सकता है।  30  तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, “मरियम, मत डर! क्योंकि तूने परमेश्‍वर की बड़ी आशीष पायी है।  31  देख! तू गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी।+ तू उसका नाम यीशु रखना।+ 32  वह महान होगा+ और परम-प्रधान का बेटा कहलाएगा+ और यहोवा परमेश्‍वर उसके पुरखे दाविद की राजगद्दी उसे देगा।+ 33  वह राजा बनकर याकूब के घराने पर हमेशा तक राज करेगा और उसके राज का कभी अंत नहीं होगा।”+ 34  मगर मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “मुझे बच्चा कैसे हो सकता है, मैं तो कुँवारी हूँ?”*+ 35  स्वर्गदूत ने उससे कहा, “परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति तुझ पर आएगी+ और परम-प्रधान की शक्‍ति तुझ पर छा जाएगी। इसलिए जो पैदा होगा वह पवित्र+ और परमेश्‍वर का बेटा कहलाएगा।+ 36  देख! तेरी रिश्‍तेदार इलीशिबा जिसे बाँझ कहा जाता था, वह भी बुढ़ापे में गर्भवती हुई है। वह एक बेटे को जन्म देनेवाली है और यह उसका छठा महीना है।  37  क्योंकि परमेश्‍वर के मुँह से निकली कोई भी बात नामुमकिन नहीं हो सकती।”+ 38  तब मरियम ने कहा, “देख! मैं तो यहोवा की दासी हूँ! तूने जैसा कहा है, वैसा ही मेरे साथ हो।” तब वह स्वर्गदूत उसके पास से चला गया। 39  उन दिनों मरियम ने जल्दी-जल्दी तैयारी की और पहाड़ी इलाके में यहूदा के एक शहर के लिए निकल पड़ी।  40  वह जकरयाह के घर पहुँची और उसने इलीशिबा को नमस्कार किया।  41  जैसे ही इलीशिबा ने मरियम का नमस्कार सुना, उसके पेट में बच्चा उछल पड़ा और इलीशिबा पवित्र शक्‍ति से भर गयी  42  और ज़ोर से बोल उठी, “तू औरतों में सबसे धन्य है! तेरे गर्भ का फल भी धन्य है!  43  यह मेरे लिए कितना बड़ा सम्मान है कि मेरे प्रभु की माँ मेरे पास आयी है!  44  क्योंकि देख! जैसे ही तेरे नमस्कार की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी, मेरे पेट में बच्चा खुशी से उछल पड़ा।  45  तू इसलिए भी धन्य है कि तूने यकीन किया, क्योंकि यहोवा की जो बातें तुझसे कही गयी हैं, वे सब पूरी होंगी।” 46  तब मरियम ने कहा, “मैं यहोवा का गुणगान करती हूँ+ 47  और मेरा दिल मेरे उद्धारकर्ता परमेश्‍वर की वजह से खुशी से फूला नहीं समा रहा+ 48  क्योंकि उसने अपनी दासी की दीन दशा पर ध्यान दिया है+ और अब से सारी पीढ़ियाँ मुझे सुखी कहा करेंगी।+ 49  क्योंकि शक्‍तिशाली परमेश्‍वर ने मेरी खातिर बड़े-बड़े काम किए हैं और उसका नाम पवित्र है।+ 50  जो उसका डर मानते हैं, उन पर उसकी दया पीढ़ी-पीढ़ी तक बनी रहती है।+ 51  उसने अपने बाज़ुओं की ताकत दिखायी है+ और जिनका दिल घमंड से भरा था उन्हें तितर-बितर किया है।+ 52  उसने अधिकार रखनेवालों को उनकी गद्दी से नीचे उतारा है+ और दीन-हीनों को ऊँचा किया है।+ 53  उसने भूखों को भरपेट अच्छी चीज़ें दी हैं,+ जबकि दौलतमंदों को खाली हाथ लौटा दिया है।  54  वह अपने सेवक इसराएल को सहारा देने आया है और जैसा उसने हमारे पुरखों से वादा किया था,+ 55  उसे अब्राहम और उसके वंश* पर सदा-सदा तक दया करना याद रहा।”+ 56  मरियम करीब तीन महीने तक इलीशिबा के साथ रही और फिर अपने घर लौट आयी। 57  इलीशिबा के दिन पूरे हुए और उसने एक बेटे को जन्म दिया।  58  जब उसके पड़ोसियों और रिश्‍तेदारों ने सुना कि यहोवा ने उस पर बड़ी दया की है, तो उन्होंने उसके साथ खुशियाँ मनायीं।+ 59  आठवें दिन वे उस बच्चे का खतना करने आए।+ वे उसके पिता जकरयाह के नाम पर उसका नाम रखने जा रहे थे।  60  लेकिन बच्चे की माँ ने कहा, “नहीं! उसका नाम यूहन्‍ना होगा।”  61  तब वे उससे कहने लगे, “तेरे रिश्‍तेदारों में से किसी का भी यह नाम नहीं है।”  62  फिर उन्होंने बच्चे के पिता से इशारों में पूछा कि वह उसका क्या नाम रखना चाहता है।  63  उसने एक तख्ती मँगवायी और उस पर लिखा, “इसका नाम यूहन्‍ना होगा।”+ यह देखकर सब हैरान रह गए।  64  उसी घड़ी जकरयाह की ज़बान खुल गयी और वह फिर से बोलने लगा+ और परमेश्‍वर की तारीफ करने लगा।  65  उनके आस-पास रहनेवाले सभी लोगों पर डर छा गया। यहूदिया के पहाड़ी इलाके में हर तरफ इन बातों की चर्चा होने लगी।  66  जितने लोगों ने यह सब सुना वे मन में सोचने लगे, “यह बच्चा बड़ा होकर क्या बनेगा?” इसलिए कि यहोवा का हाथ वाकई उस बच्चे पर था। 67  फिर उसका पिता जकरयाह पवित्र शक्‍ति से भर गया और यह भविष्यवाणी करने लगा,  68  “इसराएल के परमेश्‍वर यहोवा की जयजयकार हो,+ क्योंकि उसने अपने लोगों पर ध्यान दिया है और उन्हें छुटकारा दिलाया है।+ 69  उसने अपने सेवक दाविद के घराने+ में हमारे लिए एक शक्‍तिशाली उद्धारकर्ता पैदा किया+ है,  70  ठीक जैसे उसने प्राचीनकाल के पवित्र भविष्यवक्‍ताओं के मुँह से कहलवाया था।+ 71  उसने बताया था कि वह हमारे दुश्‍मनों से और जो हमसे नफरत करते हैं उन सबसे हमें छुटकारा दिलाएगा।+ 72  वह हमारे पुरखों पर दया करते हुए अपने पवित्र करार को याद करेगा,+ 73  उस शपथ को जो उसने हमारे पुरखे अब्राहम से खायी थी।+ 74  उसने कहा था कि वह हमें दुश्‍मनों के हाथ से छुड़ाकर हमें यह सम्मान देगा कि हम निडर होकर उसकी पवित्र सेवा करें  75  और सारी ज़िंदगी उसकी नज़रों में वफादार रहें और उसके नेक स्तरों के मुताबिक चलते रहें।  76  मगर मेरे बेटे, जहाँ तक तेरी बात है, तू परम-प्रधान का भविष्यवक्‍ता कहलाएगा, इसलिए कि तू यहोवा के आगे-आगे जाकर उसके लिए रास्ता तैयार करेगा।+ 77  और उसके लोगों को यह संदेश देगा कि वह उनके पाप माफ करेगा और उनका उद्धार करेगा।+ 78  यह हमारे परमेश्‍वर की कोमल करुणा की वजह से होगा। जब वह करुणा करेगा तो मानो हम पर सुबह का उजाला चमकाएगा+ 79  ताकि जो अँधेरे में और मौत के साए में बैठे हैं उन्हें वह रौशनी दे+ और हमारे कदमों को शांति की राह पर ले चले।” 80  वह लड़का बड़ा होता गया और दमदार शख्सियतवाला इंसान बना। जब तक उसके लिए इसराएल के सामने आने का वक्‍त नहीं आया, तब तक वह वीरान इलाकों में रहा।

कई फुटनोट

या “पैदा होने के पहले से ही।”
शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।
या “अनोखी घटना देखी।”
या “मैंने किसी आदमी के साथ यौन-संबंध नहीं रखे हैं।”
शा., “बीज।”

अध्ययन नोट

लूका: यूनानी में लूकस। लूका ने खुशखबरी की यह किताब और ‘प्रेषितों के काम’ की किताब लिखी। वह एक वैद्य था और प्रेषित पौलुस का एक वफादार साथी। (कुल 4:14; कृपया “लूका की किताब पर एक नज़र” भी देखें।) उसके यूनानी नाम और उसकी लेखन-शैली की वजह से कुछ लोगों का दावा है कि वह यहूदी नहीं था। इसके अलावा, वे इसलिए भी यह दावा करते हैं क्योंकि कुल 4:10-14 में पौलुस ने पहले उन लोगों का ज़िक्र किया “जिनका खतना हुआ” था और फिर लूका का किया। लेकिन यह दावा सही नहीं लगता क्योंकि रोम 3:1, 2 में लिखा है कि “यहूदियों को ही परमेश्‍वर के पवित्र वचन दिए गए थे” और लूका उनमें से एक था। इसलिए मुमकिन है कि लूका एक ऐसा यहूदी था जिसका यूनानी नाम था और जो यूनानी भाषा बोलता था।

लूका के मुताबिक खुशखबरी: खुशखबरी की किताबों के किसी भी लेखक ने यह नहीं बताया कि उसने यह किताब लिखी है। साथ ही, सबूतों से पता चलता है कि मूल पाठ में शीर्षक नहीं थे। लूका की किताब की कुछ हस्तलिपियों में लंबा शीर्षक था, यूएजेलियोन कता लूकन (“लूका के मुताबिक खुशखबरी”) और कुछ हस्तलिपियों में छोटा शीर्षक था, कता लूकन (“लूका के मुताबिक”)। यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ऐसे शीर्षक कब से लिखे जाने लगे या इस्तेमाल किए जाने लगे। कुछ लोगों का मानना है कि दूसरी सदी से ऐसे शीर्षक इस्तेमाल किए जाने लगे क्योंकि खुशखबरी की किताबों की कुछ ऐसी हस्तलिपियाँ मिली हैं, जिनमें लंबा शीर्षक है और ये हस्तलिपियाँ या तो दूसरी सदी के आखिर की हैं या तीसरी सदी की शुरूआत की। कुछ विद्वानों का कहना है कि शायद मरकुस की किताब के शुरूआती शब्दों (“परमेश्‍वर के बेटे यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी यूँ शुरू होती है”) की वजह से इन ब्यौरों को “खुशखबरी” की किताबें कहा गया है। शीर्षक में “खुशखबरी” शब्द के साथ लेखक का नाम शायद इसलिए इस्तेमाल किया जाने लगा ताकि किताबों की सही-सही पहचान हो सके।

आदरणीय: इसका यूनानी शब्द है क्रातिस्तौस। जब कोई किसी ऊँचे अधिकारी से बात करता था तो उसके लिए यह शब्द इस्तेमाल करता था। (प्रेष 23:26; 24:2; 26:25) इसलिए कुछ विद्वानों को लगता है कि थियुफिलुस मसीही बनने से पहले शायद किसी ऊँचे ओहदे पर था। दूसरों को लगता है कि यह यूनानी शब्द एक दोस्त के लिए, या किसी को खास सम्मान देने के लिए, या फिर अदब से बात करते वक्‍त इस्तेमाल किया जाता था। ज़ाहिर है कि थियुफिलुस एक मसीही था क्योंकि उसे पहले से ही यीशु मसीह और उसकी सेवा के बारे में ‘ज़बानी तौर पर सिखाया गया था।’ (लूक 1:4) अब लूका की किताब से उसे और भी यकीन हो जाता कि उसने जो बातें सीखी हैं वे सच हैं। लेकिन इस बारे में लोगों की अलग-अलग राय है। कुछ को लगता है कि थियुफिलुस मसीह की शिक्षाओं में दिलचस्पी रखता था और बाद में वह मसीही बना। दूसरों का मानना है कि थियुफिलुस शब्द सभी मसीहियों के लिए इस्तेमाल किया गया क्योंकि इस शब्द का मतलब है “परमेश्‍वर का प्यारा; परमेश्‍वर का दोस्त।” ‘प्रेषितों के काम’ की किताब की शुरूआत में लूका ने थियुफिलुस के लिए “आदरणीय” शब्द इस्तेमाल नहीं किया।​—प्रेष 1:1.

यकीन करते हैं: इनके यूनानी शब्द का अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “हमारे बीच प्रमाणिकता दी गयी है।” इससे पता चलता है कि सच्ची घटनाओं की अच्छी तरह जाँच-परख की गयी थी। “यकीन करते हैं” शब्दों के साथ शब्द हम सब जोड़ना दिखाता है कि मसीहियों को पूरा यकीन था कि मसीह के बारे में सारी भविष्यवाणियाँ पूरी हो चुकी हैं, वे सच्ची हैं और उन पर बेझिझक भरोसा किया जा सकता है। इसलिए कुछ अनुवादों में इस तरह लिखा है: “जिन सच्ची घटनाओं को हम पूरी तरह मानते हैं।” दूसरी आयतों में इसी यूनानी शब्द का अनुवाद “पूरा यकीन” और “पक्का यकीन” किया गया है।​—रोम 4:21; 14:5; कुल 4:12.

परमेश्‍वर का संदेश सुनानेवाले सेवक: या “वचन के सेवक।” मसीही यूनानी शास्त्र के दो इब्रानी अनुवादों में (जिन्हें अति. ग में J18, 22 कहा गया है) यहाँ परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी अक्षर इस्तेमाल हुए हैं। उन अनुवादों में यह आयत कहती है, “यहोवा के वचन के सेवक।”

तर्क के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से: या “क्रमानुसार।” यूनानी शब्द काथेक्सेस का मतलब समय, विषय या तर्क के मुताबिक क्रम भी हो सकता है। इसका हमेशा यह मतलब नहीं होता कि घटनाएँ उसी क्रम में लिखी गयी हों जिस क्रम में वे घटीं। लूक 3:18-21 से ज़ाहिर होता है कि लूका ने भी हमेशा घटनाओं को उस क्रम में नहीं लिखा जिस क्रम में वे घटी थीं। लेकिन कई बार उसने घटनाओं को क्रमानुसार लिखा। ज़ाहिर है कि उसने घटनाओं और विषयों को सिलसिलेवार ढंग से लिखने के लिए और भी बातों का ध्यान रखा। यीशु की ज़िंदगी और सेवा से जुड़ी घटनाओं का क्रम जानने के लिए खुशखबरी की चारों किताबों की जाँच करने की ज़रूरत है।

पता लगाया है: या “और ध्यान से जाँच की है।” लूका ने जो घटनाएँ लिखीं उन्हें उसने खुद नहीं देखा था। इसलिए पवित्र शक्‍ति से उभारे जाने के अलावा, ज़ाहिर है कि उसने अपनी किताब के लिए इन तरीकों से जानकारी हासिल की होगी: (1) यीशु की वंशावली लिखते वक्‍त उसने मौजूदा दस्तावेज़ों की जाँच की होगी। (लूक 3:23-38) (2) उसने परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी मत्ती की किताब पर ध्यान दिया होगा। (3) उसने कई चश्‍मदीद गवाहों से बात की होगी (लूक 1:2), जैसे उन चेलों से जो तब तक ज़िंदा थे और शायद यीशु की माँ मरियम से भी। लूका की किताब की करीब 60 प्रतिशत जानकारी ऐसी है जो खुशखबरी की दूसरी किताबों में नहीं पायी जाती।​—“लूका की किताब पर एक नज़र” देखें।

हेरोदेस: यानी हेरोदेस महान।​—शब्दावली देखें।

जकरयाह: यह एक इब्रानी नाम से निकला है जिसका मतलब है, “यहोवा ने याद किया है।” बाइबल के कुछ अनुवादों में “जकरियस” लिखा है, जो जकरयाह नाम का यूनानी रूप है।

अबियाह: यह एक इब्रानी नाम से निकला है जिसका मतलब है, “मेरा पिता यहोवा है।”

अबियाह के दल: अबियाह एक याजक और हारून का वंशज था। राजा दाविद के दिनों में, उसे इसराएल में अपने पिता के घराने का मुखिया माना जाता था। दाविद ने याजकों को 24 दलों में बाँटा था। हरेक दल को हर छ: महीने में एक हफ्ते के लिए यरूशलेम के पवित्र-स्थान में सेवा करनी होती थी। अबियाह के घराने को चिट्ठियाँ डालकर आठवें दल की अगुवाई करने के लिए चुना गया था। (1इत 24:3-10) “अबियाह के दल” का होने का मतलब यह ज़रूरी नहीं कि जकरयाह उस वंश से था बल्कि यह भी हो सकता है कि उसे उस दल के साथ मिलकर सेवा करने के लिए ठहराया गया था।​—लूक 1:9 का अध्ययन नोट देखें।

इलीशिबा: यूनानी में एलीसेबैत, जो इब्रानी नाम एलीशेवा (एलीशेबा) से निकला है। इसका मतलब है, “मेरा परमेश्‍वर बहुतायत है; बहुतायत का परमेश्‍वर।” इलीशिबा हारून के वंश से थी। इसका मतलब, यूहन्‍ना के माता-पिता दोनों याजकों के वंश से थे।

यहोवा: इस अनुवाद में खुशखबरी की किताब लूका में यहाँ पहली बार परमेश्‍वर का नाम आया है। हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी यह मानने के ठोस कारण हैं कि मूल भाषा में यहाँ परमेश्‍वर का नाम इस्तेमाल हुआ था, लेकिन बाद में इसकी जगह प्रभु इस्तेमाल हुआ है। (अति. ग1 और ग3 परिचय; लूक 1:6 देखें।) लूका की किताब के पहले दो अध्यायों में इब्रानी शास्त्र के ऐसे बहुत-से शब्दों और आयतों का सीधे तौर पर या दूसरे तरीके से ज़िक्र किया गया है जिनमें परमेश्‍वर का नाम है। उदाहरण के लिए, शब्द आज्ञाओं और कानूनों और इसी तरह एक-साथ इस्तेमाल होनेवाले दूसरे कानूनी शब्द इब्रानी शास्त्र की उन आयतों में पाए जा सकते हैं, जहाँ यहोवा बात कर रहा है या जहाँ उसका नाम इस्तेमाल हुआ है।​—उत 26:2, 5; गि 36:13; व्य 4:40; 27:10; यहे 36:23, 27.

धूप जलाने की उसकी बारी आयी: शुरूआत में महायाजक हारून सोने की वेदी पर धूप जलाता था। (निर्ग 30:7) लेकिन धूप और पवित्र डेरे की दूसरी चीज़ों की देखरेख की ज़िम्मेदारी उसके बेटे एलिआज़र को दी गयी थी। (गि 4:16) यहाँ बताया गया है कि जकरयाह, जो महायाजक के अधीन सेवा करता था, धूप जला रहा है। इससे मालूम पड़ता है कि यह काम महायाजक के अलावा दूसरे याजक भी करते थे। (मगर प्रायश्‍चित के दिन सिर्फ महायाजक धूप जलाता था।) हर दिन मंदिर में जो काम किए जाते थे, उनमें धूप जलाना शायद सबसे सम्मान का काम माना जाता था। यह बलिदान चढ़ाए जाने के बाद किया जाता था और उस दौरान लोग मंदिर के बाहर इकट्ठा होकर प्रार्थना करते थे। रब्बियों के लेखों के मुताबिक, इस काम के लिए चिट्ठियाँ डाली जाती थीं। अगर चुना हुआ याजक पहले यह काम कर चुका होता था, तो उसे दोबारा यह मौका नहीं दिया जाता था। वह दोबारा यह काम तभी कर सकता था जब सभी याजकों को मौका मिल जाता था। अगर यह सच है, तो एक याजक को यह सम्मान शायद ज़िंदगी में एक ही बार मिलता था।

यहोवा के मंदिर: जैसे लूक 1:6 के अध्ययन नोट में बताया गया है, लूका की किताब के पहले दो अध्यायों में इब्रानी शास्त्र के ऐसे बहुत-से शब्दों और आयतों का सीधे तौर पर या दूसरे तरीके से ज़िक्र किया गया है जिनमें परमेश्‍वर का नाम है। मिसाल के लिए, जहाँ-जहाँ “यहोवा के मंदिर [या “पवित्र-स्थान”]” से मिलते-जुलते शब्द आते हैं, वहाँ अकसर परमेश्‍वर का नाम चार इब्रानी अक्षरों में लिखा होता है। (गि 19:20; 2रा 18:16; 23:4; 24:13; 2इत 26:16; 27:2; यिर्म 24:1; यहे 8:16; हाग 2:15) अति. ग1 में बताया है कि यह मानने के ठोस कारण हैं कि मूल भाषा में यहाँ परमेश्‍वर का नाम इस्तेमाल हुआ था, लेकिन बाद में इसकी जगह प्रभु इस्तेमाल हुआ है। इसलिए मुख्य पाठ में परमेश्‍वर का नाम यहोवा आया है।​—अति. ग3 परिचय; लूक 1:9 देखें।

मंदिर: यहाँ यूनानी शब्द नेयोस का मतलब है, मंदिर की मुख्य इमारत। जब जकरयाह की ‘धूप जलाने की बारी आयी’ तो उसे मंदिर के पहले भाग में यानी ‘पवित्र भाग’ में जाना था, जहाँ धूप की वेदी थी।​—मत 27:5; 27:51 के अध्ययन नोट और अति. ख11 देखें।

यहोवा का स्वर्गदूत: ये शब्द इब्रानी शास्त्र में पहली बार उत 16:7 में आए हैं। तब से बहुत-सी आयतों में शब्द “स्वर्गदूत” के साथ-साथ परमेश्‍वर के नाम के चार इब्रानी अक्षर कई बार लिखे हैं। सेप्टुआजेंट की एक शुरूआती कॉपी में ये शब्द जक 3:5, 6 में आए हैं और वहाँ पहले यूनानी शब्द एगीलोस (स्वर्गदूत; दूत) लिखा गया है और उसके बाद इब्रानी अक्षरों में परमेश्‍वर का नाम। इस कॉपी का एक टुकड़ा इसराएल में यहूदिया के रेगिस्तान की नहल हेवर नदी के पास एक गुफा में पाया गया। यह टुकड़ा ईसा पूर्व 50 से ईसवी सन्‌ 50 के बीच का है। हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में लूक 1:11 में “प्रभु का स्वर्गदूत” लिखा है, लेकिन नयी दुनिया अनुवाद में यहाँ “यहोवा का स्वर्गदूत” कहा गया है। ऐसा क्यों लिखा है, इसकी वजह अति. ग1 और ग3 में समझायी गयी हैं।

यूहन्‍ना: मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।

यहोवा की नज़र में: हालाँकि मौजूदा यूनानी हस्तलिपियों में यहाँ शब्द किरियॉस (प्रभु) इस्तेमाल हुआ है, फिर भी मुख्य पाठ में परमेश्‍वर का नाम इस्तेमाल करना सही है। यूनानी शब्द इनोपियन किरायू (शा., “प्रभु की नज़र में [के सामने]”) एक इब्रानी मुहावरे से निकले हैं। ये शब्द सेप्टुआजेंट की मौजूदा कॉपियों में 100 से भी ज़्यादा बार पाए जाते हैं और ये उन इब्रानी शब्दों का अनुवाद हैं जिनमें मूल पाठ में परमेश्‍वर का नाम चार इब्रानी अक्षरों में लिखा है। (न्या 11:11; 1शम 10:19; 2शम 5:3; 6:5) ये शब्द इब्रानी शास्त्र में जिस तरह लिखे गए हैं वह दिखाता है कि किरियॉस परमेश्‍वर के नाम की जगह इस्तेमाल हुआ है।​—अति. ग3 परिचय; लूक 1:15 देखें।

पवित्र शक्‍ति: या “पवित्र ज़ोरदार शक्‍ति।”​—शब्दावली में “पवित्र शक्‍ति”; “रुआख; नफ्मा” देखें।

यहोवा: स्वर्गदूत ने जकरयाह को जो संदेश दिया (आय. 13-17) उसमें इब्रानी शास्त्र की भाषा की ज़बरदस्त झलक मिलती है। उदाहरण के लिए, जब यूनानी शास्त्र में इब्रानी शास्त्र की बातें लिखी जाती थीं तो किरियॉस (प्रभु), थियॉस (परमेश्‍वर) और पुरुषवाचक सर्वनाम (यहाँ उनके परमेश्‍वर यहोवा), ये तीन शब्द एक-साथ इस्तेमाल करना आम था। (लूक 4:8, 12; 10:27 में “अपने परमेश्‍वर यहोवा” से तुलना करें।) इब्रानी शास्त्र में शब्द “उनका परमेश्‍वर यहोवा” और “उनके परमेश्‍वर यहोवा” बहुत बार आए हैं, जबकि ‘उनका प्रभु परमेश्‍वर’ शब्द कभी नहीं आए। इसके अलावा, शब्द इसराएल के बेटों एक इब्रानी मुहावरे से निकले हैं, जो इब्रानी शास्त्र में कई बार इस्तेमाल हुए हैं और जिनका मतलब है, “इसराएल के लोगों” या “इसराएलियों।”​—उत 36:31; फु.; कृपया अति. ग3 परिचय; लूक 1:16 देखें।

एलियाह: एक इब्रानी नाम जिसका मतलब है, “मेरा परमेश्‍वर यहोवा है।”

ताकि पिताओं का दिल पलटकर बच्चों जैसा कर दे: शा., “ताकि पिताओं का दिल बच्चों की ओर फेर दे।” यहाँ मला 4:6 की भविष्यवाणी लिखी है। लूक 1:17 में पिताओं और उनके बच्चों के बीच होनेवाली सुलह की बात नहीं की गयी है। इसके बजाय, यहाँ बताया गया है कि यूहन्‍ना का संदेश पिताओं को उभारेगा कि वे पश्‍चाताप करें, अपने कठोर दिल को नम्र करें और आज्ञाकारी बच्चों की तरह सीखने के लिए तैयार रहें। उनमें से कुछ आगे चलकर सचमुच में परमेश्‍वर के बच्चे बनते। उसी तरह, जब मलाकी ने कहा कि बेटों का दिल पिताओं जैसा हो जाएगा, तो उसका मतलब था कि यूहन्‍ना के दिनों में पश्‍चाताप करनेवाले आदमी अपने वफादार पुरखों अब्राहम, इसहाक और याकूब की तरह बनने में और भी मेहनत करेंगे।

यहोवा के लिए ऐसे लोगों को तैयार करेगा जो उसके योग्य हों: स्वर्गदूत ने जकरयाह को जो संदेश दिया (आय. 13-17) उसमें मला 3:1; 4:5, 6 और यश 40:3 जैसी आयतों में लिखी बातों की तरफ इशारा किया गया है। इन आयतों में परमेश्‍वर का नाम लिखा है। (लूक 1:15, 16 के अध्ययन नोट देखें।) ऐसे लोगों को तैयार करेगा, इनसे मिलते-जुलते यूनानी शब्द सेप्टुआजेंट में 2शम 7:24 में पाए जा सकते हैं। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में लिखा है: ‘हे यहोवा, तूने अपनी प्रजा इसराएल को अपने लोग बना लिया है।’​—अति. ग3 परिचय; लूक 1:17 देखें।

जिब्राईल: यह एक इब्रानी नाम से निकला है जिसका मतलब है, “परमेश्‍वर का शक्‍तिशाली जन (बलवान)।” (दान 8:15, 16) बाइबल में सिर्फ दो स्वर्गदूतों के नाम दिए गए हैं, एक मीकाएल और दूसरा जिब्राईल। इंसानों का रूप धारण करनेवाले स्वर्गदूतों में से सिर्फ जिब्राईल ने अपना नाम बताया था।

यह खुशखबरी सुनाने: यूनानी क्रिया यूएजेलाइ-ज़ोमे यूनानी संज्ञा यूएजेलियोन (खुशखबरी) से संबंधित है। यहाँ स्वर्गदूत जिब्राईल संदेश सुनानेवाले के तौर पर काम कर रहा है।​—मत 4:23; 24:14; 26:13 के अध्ययन नोट देखें।

पवित्र सेवा: या “जन-सेवा।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द लेतूरगीया से संबंधित दो और शब्द हैं, लेतूरगेयो (जन-सेवा करना) और लेतूरगोस (जन-सेवक या काम करनेवाला)। प्राचीन समय के यूनानी और रोमी लोग ये तीनों शब्द उस काम या सेवा के लिए इस्तेमाल करते थे, जो सरकार या सरकारी अधिकारियों के लिए की जाती थी और जिससे जनता का भला होता था। उदाहरण के लिए, रोम 13:6 में सरकारी अधिकारियों को परमेश्‍वर के ठहराए “जन-सेवक” (लेतूरगोस का बहुवचन) कहा गया है क्योंकि वे जनता को कई सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। लूक 1:23 में शब्द लेतूरगीया का इस्तेमाल “पवित्र सेवा” को बताने के लिए किया गया है, ठीक यही मतलब देने के लिए सेप्टुआजेंट में यह यूनानी शब्द आया है। सेप्टुआजेंट में इस शब्द की क्रिया और संज्ञा रूप अकसर मंदिर में याजकों और लेवियों के द्वारा की गयी सेवा के लिए इस्तेमाल हुए हैं। (निर्ग 28:35; गि 8:22) इस सेवा में लोगों की खातिर किए जानेवाले काम, यानी जन-सेवा भी शामिल थी। लेकिन इसे पवित्र सेवा भी माना जाता था क्योंकि लेवी गोत्र के याजक लोगों को परमेश्‍वर का कानून सिखाते थे और उनके पापों के प्रायश्‍चित के लिए बलिदान चढ़ाते थे।​—2इत 15:3; मला 2:7.

यहोवा ने मुझ पर मेहरबानी की है: या “यहोवा ने मेरे लिए यह किया है।” यहाँ इलीशिबा ने जिस तरह अपना एहसान ज़ाहिर किया, उससे शायद हमें सारा के साथ हुई वह घटना याद आए जो उत 21:1 में दर्ज़ है। इस आयत में परमेश्‍वर का नाम लिखा है। इलीशिबा ने अपने बाँझ होने की बदनामी दूर किए जाने के बारे में जो कहा, उससे शायद हमें उत 30:23 में लिखे राहेल के शब्द याद आएँ।​—अति. ग1 और ग3 परिचय; लूक 1:25 देखें।

इलीशिबा के छठे महीने में: शा., “छठे महीने में।” आयत 24 और 25 से पता चलता है कि यहाँ इलीशिबा के गर्भवती होने के छठे महीने की बात की गयी है।

मँगनी . . . हो चुकी थी: मत 1:18 का अध्ययन नोट देखें।

मरियम: इब्रानी में “मिरयम।” मसीही यूनानी शास्त्र में मरियम नाम की छ: औरतों का ज़िक्र है: (1) यीशु की माँ मरियम, (2) मरियम मगदलीनी (मत 27:56; लूक 8:2; 24:10), (3) याकूब और योसेस की माँ मरियम (मत 27:56; लूक 24:10), (4) मारथा और लाज़र की बहन मरियम (लूक 10:39; यूह 11:1), (5) यूहन्‍ना मरकुस की माँ मरियम (प्रेष 12:12) और (6) रोम की रहनेवाली मरियम (रोम 16:6)। यीशु के दिनों में लड़कियों का मरियम नाम रखना आम था।

यहोवा तेरे साथ है: ये शब्द और इनसे मिलते-जुलते शब्द, जिनमें परमेश्‍वर का नाम शामिल है, अकसर इब्रानी शास्त्र में आए हैं। (रूत 2:4; 2शम 7:3; 2इत 15:2; यिर्म 1:19) मरियम को दुआ-सलाम करते वक्‍त स्वर्गदूत ने जो शब्द कहे वे उन शब्दों से मिलते-जुलते हैं जो परमेश्‍वर के स्वर्गदूत ने गिदोन से कहे थे: “हे वीर योद्धा! यहोवा तेरे साथ है।”​—न्या 6:12; अति. ग1 और ग3 परिचय; लूक 1:28 देखें।

यीशु: मत 1:21 का अध्ययन नोट देखें।

यहोवा परमेश्‍वर: जैसे लूक 1:6 के अध्ययन नोट में बताया गया है, लूका की किताब के पहले दो अध्यायों में इब्रानी शास्त्र के ऐसे बहुत-से शब्दों और आयतों का सीधे तौर पर या दूसरे तरीके से ज़िक्र किया गया है, जिनमें परमेश्‍वर का नाम है। स्वर्गदूत ने जब दाविद की राजगद्दी की बात की, तो वह 2शम 7:12, 13, 16 में दिए वादे की तरफ इशारा कर रहा था। इन आयतों में यहोवा ने भविष्यवक्‍ता नातान के ज़रिए दाविद से बात की थी और इनके संदर्भ में कई बार परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी अक्षर पाए जाते हैं। (2शम 7:4-16) मसीही यूनानी शास्त्र में “यहोवा परमेश्‍वर” और इस तरह एक-साथ इस्तेमाल होनेवाले (युग्म) शब्द खासकर उन आयतों में आते हैं जहाँ इब्रानी शास्त्र की बात लिखी है या जहाँ इब्रानी शास्त्र की लेखन-शैली झलकती है।​—लूक 1:16 का अध्ययन नोट और अति. ग3 परिचय; लूक 1:32 देखें।

तेरी रिश्‍तेदार: “रिश्‍तेदार” के यूनानी शब्द की दो वर्तनी हैं, सीगजीनिस और सीगजीनेस। मसीही यूनानी शास्त्र में सीगजीनिस सिर्फ इस आयत में आया है, जबकि सीगजीनेस दूसरी कई आयतों में आया है। (लूक 1:58; 21:16; प्रेष 10:24; रोम 9:3) दोनों शब्दों का आम तौर पर मतलब होता है, एक ऐसा रिश्‍तेदार जो एक ही कुल या घराने का है। हालाँकि मरियम और इलीशिबा रिश्‍तेदार थीं लेकिन उनके बीच ठीक क्या रिश्‍ता था, इसकी कोई जानकारी नहीं है। जकरयाह और इलीशिबा लेवी गोत्र के थे, जबकि यूसुफ और मरियम यहूदा गोत्र के थे, इसलिए वे दूर के रिश्‍तेदार रहे होंगे।

परमेश्‍वर के मुँह से निकली कोई भी बात नामुमकिन नहीं हो सकती: या “परमेश्‍वर का एक भी वचन बिना पूरा हुए नहीं रहेगा।” या शायद, “परमेश्‍वर के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं।” जिस यूनानी शब्द रीमा का अनुवाद “बात” किया गया है, उसका मतलब “वचन; बात; ऐलान” हो सकता है। या फिर उसका मतलब “कुछ भी; जिस बारे में कहा गया है” भी हो सकता है, यानी कोई घटना या काम जिसका वर्णन किया गया है या किसी ऐलान का नतीजा। यूनानी में यहाँ लिखी बात का कई तरीकों से अनुवाद किया जा सकता है, लेकिन मोटे तौर पर मतलब एक ही है। वह है कि परमेश्‍वर के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है या उसका वादा पूरा होकर ही रहेगा। यहाँ लिखे शब्द सेप्टुआजेंट में उत 18:14 में लिखे शब्दों से मिलते-जुलते हैं, जहाँ यहोवा ने अब्राहम को यकीन दिलाया कि भले ही उसकी पत्नी सारा की उम्र ढल गयी है, फिर भी वह इसहाक को जन्म देगी।

देख! मैं तो यहोवा की दासी हूँ!: यह कहकर मरियम ने वही बात कही जो इब्रानी शास्त्र में बताए यहोवा के सेवकों ने कही थी। उदाहरण के लिए, 1शम 1:11 में हन्‍ना ने प्रार्थना की, “हे सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा, अगर तू अपनी दासी की हालत पर नज़र करे।” सेप्टुआजेंट में 1शम 1:11 में “दासी” के लिए जो यूनानी शब्द लिखा है वही शब्द लूक 1:38 में आया है।​—अति. ग3 परिचय; लूक 1:38 देखें।

पहाड़ी इलाके में . . . निकल पड़ी: जकरयाह और इलीशिबा यहूदा के पहाड़ी इलाके के किस शहर में रहते थे, इसकी जानकारी नहीं है। मरियम को अपने शहर नासरत से उस पहाड़ी इलाके तक जाने में शायद तीन-चार दिन लगे होंगे। इन दोनों जगहों के बीच की दूरी 100 कि.मी. (60 मील) या उससे भी ज़्यादा रही होगी।

तेरे गर्भ का फल: या “तेरे गर्भ में पल रहा बच्चा।” यहाँ “फल” के लिए यूनानी शब्द कारपोस इस्तेमाल किया गया है। जब यह शब्द “गर्भ” के साथ इस्तेमाल होता है तो उसका लाक्षणिक मतलब है, एक अजन्मा बच्चा। “तेरे गर्भ का फल” ये शब्द एक इब्रानी मुहावरे से निकले हैं, जिनका मतलब है, इंसान का बच्चा।​—उत 30:2, फु.; व्य 7:13, फु.; 28:4, फु.; भज 127:3; यश 13:18; विल 2:20, फु.

यहोवा की: स्वर्गदूत ने मरियम से जो बातें कहीं, वे असल में परमेश्‍वर यहोवा की तरफ से थीं। यहाँ “यहोवा की” के लिए यूनानी शब्द पैरा किरायू इस्तेमाल हुए हैं। ये शब्द सेप्टुआजेंट की मौजूदा कॉपियों में उन इब्रानी शब्दों के लिए इस्तेमाल हुए हैं जिनमें परमेश्‍वर का नाम है।​—उत 24:50; न्या 14:4; 1शम 1:20; यश 21:10; यिर्म 11:1; 18:1; 21:1; कृपया अति. ग3 परिचय; लूक 1:45 देखें।

तब मरियम ने कहा: आयत 46-55 में मरियम ने परमेश्‍वर की तारीफ करते वक्‍त या तो सीधे तौर पर या दूसरे तरीके से इब्रानी शास्त्र की 20 से भी ज़्यादा आयतों की बातें कहीं! उदाहरण के लिए, उसके कहे बहुत-से शब्द, शमूएल की माँ हन्‍ना की प्रार्थना से मिलते-जुलते हैं, जिसे भी यहोवा की आशीष से एक बच्चा हुआ था। (1शम 2:1-10) दूसरे उदाहरण हैं: भज 35:9; हब 3:18; यश 61:10 (आय. 47); उत 30:13; मला 3:12 (आय. 48); व्य 10:21; भज 111:9 (आय. 49); अय 12:19 (आय. 52); भज 107:9 (आय. 53); यश 41:8, 9; भज 98:3 (आय. 54); मी 7:20; यश 41:8; 2शम 22:51 (आय. 55)। मरियम के शब्द दिखाते हैं कि वह परमेश्‍वर के साथ अपने रिश्‍ते को कितनी अहमियत देती थी और उसे शास्त्र का कितना ज्ञान था। उसके शब्दों से उसकी एहसानमंदी भी झलकती है। इसके अलावा, जब उसने कहा कि यहोवा घमंडियों और अधिकार रखनेवालों को नीचे गिराता है और दीन-हीनों और गरीबों की मदद करता है ताकि वे उसकी सेवा कर सकें, तो इन शब्दों से उसके मज़बूत विश्‍वास का भी पता चलता है।

मैं यहोवा का गुणगान करती हूँ: या “मैं यहोवा की महानता की तारीफ (का ऐलान) करती हूँ।” मरियम की यह बात, इब्रानी शास्त्र में भज 34:3 और 69:30 में लिखी बातों से मिलती-जुलती है। इन्हीं आयतों में या फिर इनके आगे-पीछे की आयतों में परमेश्‍वर का नाम दिया गया है। (भज 69:31) सेप्टुआजेंट में इन आयतों में “गुणगान” के लिए वही यूनानी शब्द (मेगालीनो) इस्तेमाल हुआ है जो लूक 1:46 में हुआ है।​—इसी आयत में तब मरियम ने कहा पर अध्ययन नोट साथ ही, लूक 1:6, 25, 38 के अध्ययन नोट और अति. ग3 परिचय; लूक 1:46 देखें।

कि यहोवा ने उस पर बड़ी दया की है: ये शब्द इब्रानी शास्त्र की कुछ आयतों में लिखे शब्दों से मिलते-जुलते हैं। जैसे उत 19:18-20, जहाँ लूत ने यहोवा से कहा, ‘हे यहोवा, तूने मुझ पर महा-कृपा [शा., “अपनी कृपा की बड़ाई”] की है।’​—अति. ग3 परिचय; लूक 1:58 देखें।

यहोवा का हाथ: ये शब्द इब्रानी शास्त्र में अकसर आते हैं, यानी “हाथ” के इब्रानी शब्द के साथ-साथ परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी अक्षर लिखे हैं। (निर्ग 9:3; गि 11:23; रूत 1:13; 1शम 7:13; अय 12:9; यश 19:16; 40:2; यहे 1:3) जिन यूनानी शब्दों का अनुवाद “यहोवा का हाथ” किया गया है, वे प्रेष 11:21; 13:11 में भी आए हैं।​—लूक 1:6, 9; प्रेष 11:21 के अध्ययन नोट और अति. ग3 परिचय; लूक 1:66 देखें।

हाथ: यह शब्द अकसर लाक्षणिक तौर पर “शक्‍ति” के लिए इस्तेमाल हुआ है। लेकिन इसका मतलब सिर्फ शक्‍ति होना नहीं है बल्कि “शक्‍ति इस्तेमाल” करना भी हो सकता है, जैसे एक इंसान कुछ काम करने के लिए अपना हाथ इस्तेमाल करता है।

यहोवा की जयजयकार हो: या “यहोवा की तारीफ हो।” ये शब्द इब्रानी शास्त्र में बहुत आम हैं और इनमें अकसर परमेश्‍वर का नाम आया है।​—1शम 25:32; 1रा 1:48; 8:15; भज 41:13; 72:18; 106:48; कृपया अति. ग3 परिचय; लूक 1:68 देखें।

एक शक्‍तिशाली उद्धारकर्ता: शा., “एक उद्धार का सींग।” बाइबल में सींग को अकसर ताकत और जीत की निशानी बताया गया है। (1शम 2:1; फु.; भज 75:4, 5, 10; फु.; 148:14; फु.) सींग राजाओं और राज करनेवाले खानदान को भी दर्शाता है, फिर चाहे वे अच्छे रहे हों या बुरे। साथ ही, सींग से धकेलना उनकी जीत हासिल करने को दर्शाता है। (व्य 33:17; दान 7:24; 8:2-10, 20-24) इस संदर्भ में “उद्धार का सींग” मसीहा है क्योंकि वह एक शक्‍तिशाली उद्धारकर्ता है, उसके पास उद्धार दिलाने की शक्‍ति है।​—शब्दावली में “सींग” देखें।

उसकी पवित्र सेवा करें: या “उसकी उपासना करें।” यूनानी क्रिया लाट्रीओ का बुनियादी मतलब है, सेवा करना। शास्त्र में इसका मतलब है, परमेश्‍वर की सेवा से जुड़ा कोई काम करना या उसकी उपासना करना (मत 4:10; लूक 2:37; 4:8; प्रेष 7:7; रोम 1:9; फिल 3:3; 2ती 1:3; इब्र 9:14; 12:28; प्रक 7:15; 22:3) या फिर पवित्र-स्थान या मंदिर में सेवा करना (इब्र 8:5; 9:9; 10:2, फु.; 13:10)। इसलिए कई आयतों में इस शब्द का अनुवाद “उपासना करना” भी किया जा सकता है। कुछ आयतों में इसका इस्तेमाल झूठी उपासना के लिए भी किया गया है, जैसे सृष्टि की पूजा करना।​—प्रेष 7:42; रोम 1:25.

यहोवा: इस आयत के दूसरे भाग में जकरयाह ने जो शब्द कहे, वे यश 40:3 और मला 3:1 में लिखे शब्दों से मिलते-जुलते हैं। मूल इब्रानी पाठ में इन आयतों में परमेश्‍वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।​— लूक 1:6, 16, 17; 3:4 के अध्ययन नोट और अति. ग3 परिचय; लूक 1:76 देखें।

तू यहोवा के आगे-आगे जाकर: यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाला इस मायने में ‘यहोवा के आगे-आगे जाता’ कि वह यीशु के लिए रास्ता तैयार करता, जो अपने पिता का प्रतिनिधि होता और उसके नाम से आता।​—यूह 5:43; 8:29; इसी आयत में यहोवा पर अध्ययन नोट देखें।

इसराएल के सामने आने का वक्‍त: यानी ईसवी सन्‌ 29 के वसंत में जब यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले ने अपनी प्रचार सेवा शुरू की।​—मर 1:9; लूक 3:1, 23 के अध्ययन नोट देखें।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

लूका की किताब पर एक नज़र वीडियो
लूका की किताब पर एक नज़र वीडियो
हेरोदेस के मंदिर के द्वार में प्रवेश
हेरोदेस के मंदिर के द्वार में प्रवेश

इस वीडियो में दिखाया गया है कि जब जकरयाह ने मंदिर में प्रवेश किया तो उसने क्या देखा होगा। कुछ लेखों के मुताबिक मंदिर की ऊँचाई 15 मंज़िल थी। ऐसा मालूम होता है कि मंदिर की सामनेवाली दीवार सोने से मढ़ी थी। इसका द्वार पूरब की तरफ था इसलिए जब उगते सूरज की किरणें सोने की दीवार पर पड़ती होंगी, तो इसकी रौशनी से यह जगमगा उठती होगी।

(1) औरतों का आँगन

(2) होम-बलि की वेदी

(3) पवित्र भाग का द्वार

(4) ढला हुआ ताँबे का हौद

साइमेकस यूनानी अनुवाद जिसमें परमेश्‍वर का नाम इब्रानी के चार अक्षरों में लिखा गया है
साइमेकस यूनानी अनुवाद जिसमें परमेश्‍वर का नाम इब्रानी के चार अक्षरों में लिखा गया है

यह तीसरी या चौथी सदी के साइमेकस यूनानी अनुवाद के चर्मपत्र का एक टुकड़ा है। इसमें भज 69:30, 31 (सेप्टुआजेंट में भज 68:31, 32) का कुछ हिस्सा दिखाया गया है। साइमेकस ने अपना पहला अनुवाद दूसरी सदी में तैयार किया था। इस टुकड़े को पपाइरस विंडोबोनेनसिस ग्रीक 39777 कहा जाता है और अब यह वीएना के ऑस्ट्रियन नैशनल लाइब्रेरी में रखा गया है। टुकड़े में दो जगह दिखायी गयी हैं जहाँ परमेश्‍वर के नाम के लिए पुरानी इब्रानी भाषा के चार अक्षर ( या ) लिखे हैं। लूक 1:46 में दर्ज़ मरियम की बात, भज 69:30, 31 में लिखी बातों से मिलती-जुलती है, जहाँ मूल इब्रानी पाठ में भी परमेश्‍वर का नाम दिया गया है। इब्रानी शास्त्र के इस आधार पर और साइमेकस यूनानी अनुवाद के आधार पर लूक 1:46 में परमेश्‍वर का नाम इस्तेमाल करना सही है।​—लूक 1:46 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।

तख्तियाँ
तख्तियाँ

जब जकरयाह ने इब्रानी भाषा में लिखा “इसका नाम यूहन्‍ना होगा,” तो उसने शायद वैसी ही तख्ती इस्तेमाल की होगी जैसी हम यहाँ देख सकते हैं। प्राचीन मध्य पूर्वी देशों में ऐसी तख्तियों का इस्तेमाल सदियों तक होता रहा। इन तख्तियों के बीच के हिस्से पर मोम की पतली परत चढ़ायी जाती थी और इस पर लोहे, काँसे या हाथी-दाँत से बनी कलम से लिखा जाता था। यह कलम आगे से नुकीली और पीछे से छेनी के आकार की होती थी। पीछे के हिस्से से लिखावट को मिटाया जाता था और मोम को फिर से चिकना कर दिया जाता था। दो या उससे ज़्यादा तख्तियाँ चमड़े की छोटी-छोटी पट्टियों से बाँधी जाती थीं। व्यापारी, विद्वान, विद्यार्थी और कर वसूलनेवाले ज़रूरी जानकारी इन तख्तियों पर लिखते थे और काम होने पर मिटा देते थे। तसवीर में दिखायी गयी तख्तियाँ दूसरी या तीसरी सदी की हैं जो मिस्र में मिलीं।