यशायाह 41:1-29
41 “हे द्वीपो, चुपचाप मेरी बात सुनो!*
हे देश-देश के लोगो, नयी ताकत से भर जाओ,मेरे सामने आकर अपनी बात कहो।+
आओ हम इकट्ठा हों कि मैं तुम्हें अपना फैसला सुनाऊँ।
2 वह कौन है जिसने उसे पूरब से उभारा?+
न्याय करने के लिए उसे अपने पाँव के पास* बुलाया?
वह कौन है जो राष्ट्रों को उसके हवाले कर देगा?
राजाओं को उसके अधीन कर देगा?+
उसकी तलवार के आगे उन्हें धूल में मिला देगाऔर उसके धनुष के आगे उन्हें भूसे की तरह उड़ा देगा?
3 वह उनका पीछा करेगा, बिना रुके आगे बढ़ेगा,उन रास्तों से होकर जाएगा, जहाँ आज तक उसके कदम नहीं पड़े।
4 किसने यह सबकुछ किया, इसे अंजाम दिया?
किसने शुरूआत से एक-एक पीढ़ी को हुक्म देकर बुलाया?
मैं यहोवा, जो सबसे पहला था,+आखिरी पीढ़ी के लिए भी वैसा ही रहूँगा।”+
5 द्वीप यह देखकर घबरा गए,
पृथ्वी के दूर-दूर के इलाके काँपने लगे,वे एकजुट हो गए।
6 हरेक अपने साथी की मदद कर रहा हैऔर अपने भाई से कह रहा है, “हिम्मत रख।”
7 कारीगर, सुनार का हौसला बढ़ा रहा है+और हथौड़ा पीटनेवाला, निहाई पर काम करनेवाले का।
वह टाँकों के बारे में कहता है, “जोड़ तो अच्छा है।”
फिर कीलें ठोंककर मूरत को खड़ा किया जाता है कि वह न गिरे।
8 “लेकिन हे इसराएल, तू मेरा सेवक है,+हे याकूब, तुझे मैंने चुना है,+तू मेरे दोस्त अब्राहम का वंश* है।+
9 मैं तुझे पृथ्वी के छोर से लाया हूँ,+मैंने तुझे धरती के दूर-दूर के इलाकों से बुलाया है।
मैंने तुझसे कहा, ‘तू मेरा सेवक है,+मैंने तुझे चुना है, तुझे ठुकराया नहीं।+
10 डर मत क्योंकि मैं तेरे साथ हूँ,+घबरा मत क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूँ।+
मैं तेरी हिम्मत बँधाऊँगा, तेरी मदद करूँगा,+नेकी के दाएँ हाथ से तुझे सँभाले रहूँगा।’
11 देख! जो तुझ पर भड़क उठते हैं उनको शर्मिंदा और नीचा किया जाएगा,+
जो तुझसे झगड़ते हैं उनका नामो-निशान मिटा दिया जाएगा।+
12 जो तुझसे लड़ते हैं उन्हें ढूँढ़ने पर भी तू उन्हें न पाएगा,क्योंकि तुझसे युद्ध करनेवालों का नाश हो जाएगा, वे मिट जाएँगे।+
13 मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दायाँ हाथ थामे हुए हूँ,मैं तुझसे कहता हूँ, ‘मत डर, मैं तेरी मदद करूँगा।’+
14 हे याकूब, भले ही तू कीड़े जैसा कमज़ोर है,+ मगर डर मत।हे इसराएल के लोगो, मैं तुम्हारी मदद करूँगा।”यह ऐलान इसराएल के पवित्र परमेश्वर यहोवा ने किया है, जो तुम्हारा छुड़ानेवाला है।+
15 “देख, मैंने तुझे दाँवने की पटिया बनाया है,+एकदम नयी और पैनी दाँवने की पटिया।
तू पहाड़ों को दाँवेगा और उन्हें चूर-चूर कर देगा,तू पहाड़ियों को भूसा बना देगा।
16 तू उन्हें फटकेगाऔर हवा उन्हें उड़ा ले जाएगी,आँधी उन्हें छितरा देगी।
तू यहोवा के कारण मगन होगा+और इसराएल के पवित्र परमेश्वर के बारे में गर्व से बात करेगा।”+
17 “ज़रूरतमंद और गरीब पानी की तलाश में हैं,मगर उन्हें पानी नहीं मिलता,उनकी जीभ प्यास के मारे सूख गयी है।+
मैं यहोवा उनकी दुहाई सुनूँगा,+मैं इसराएल का परमेश्वर उन्हें नहीं त्यागूँगा।+
18 मैं सूखी पहाड़ियों पर नदियाँ बहाऊँगा,+घाटी के मैदानों में पानी के सोते निकालूँगा।+
मैं वीराने को नरकटोंवाले तालाब मेंऔर सूखे देश को पानी के सोते में बदल दूँगा।+
19 मैं बंजर इलाके में देवदार, बबूल, मेंहदी और चीड़ के पेड़ लगाऊँगा।+
सूखे मैदानों में सनोवर, एश और सरो के पेड़ लगाऊँगा+
20 ताकि सब लोग देखें और जान लें,ध्यान दें और समझ जाएँकि ये यहोवा के हाथ के काम हैं,इसराएल के पवित्र परमेश्वर ने यह सब किया है।”+
21 यहोवा कहता है, “अपना मुकदमा पेश करो।”
याकूब का राजा कहता है, “अपनी दलीलें पेश करो,
22 सबूत लाओ और बताओ कि क्या होनेवाला है।
जो बातें पहले हो चुकी हैं, वे हमें बताओकि हम उन पर सोचें और उनके नतीजों पर ध्यान दें,या जो बातें आगे होनेवाली हैं, वे हमें बताओ।+
23 बताओ कि भविष्य में क्या होनेवाला हैकि हम जान जाएँ कि तुम ईश्वर हो।+
अच्छा या बुरा, कुछ तो करोकि उसे देखकर हम हैरत में पड़ जाएँ।+
24 सुनो, तुम निकम्मे हो!
तुम्हारे काम भी बेकार हैं,+जो कोई तुम्हें चुनता है वह घिनौना है।+
25 मैंने उत्तर से किसी को उभारा है, वह आ रहा है,+पूरब से आनेवाला वह शख्स+ मेरे नाम की महिमा करेगा।
वह शासकों* को मिट्टी की तरह रौंद देगा,+जैसे कुम्हार गीली मिट्टी को रौंदता है।
26 किसने यह बात शुरूआत से बतायी कि हम इसे जान सकें?
किसने बहुत पहले ही यह बता दिया थाकि हम कहें, ‘उसने सही कहा था’?+
किसी ने नहीं! न किसी ने इसका ऐलान किया।
तुमने हमें कुछ नहीं बताया।”+
27 मैंने ही सबसे पहले सिय्योन को बताया, “देख, यह सब होनेवाला है।”+
और यह खुशखबरी सुनाने के लिए यरूशलेम में एक दूत भेजा।+
28 मैंने इधर-उधर देखा मगर वहाँ कोई न था,एक भी नहीं जो सलाह दे सके,
बार-बार पूछने पर भी मुझे कोई जवाब नहीं मिला।
29 वे सब बेकार हैं,*
उनके काम भी व्यर्थ हैं,
उनकी ढली हुई मूरतें सिर्फ हवा हैं, धोखा हैं।+
कई फुटनोट
^ या “मेरे सामने खामोश रहो।”
^ यानी अपनी सेवा में।
^ शा., “बीज।”
^ या “मातहत अधिकारियों।”
^ या “मानो वजूद में ही नहीं।”