भजन 7:1-17
दाविद का शोकगीत। इसमें वह यहोवा से उन बातों का ज़िक्र करता है जो बिन्यामीन गोत्र के कूश ने कही थीं।
7 हे यहोवा मेरे परमेश्वर, मैंने तेरी पनाह ली है।+
सतानेवालों से मुझे बचा ले, मुझे छुड़ा ले।+
2 वरना वे शेर की तरह मेरी बोटी-बोटी कर देंगे,+मुझे उठा ले जाएँगे और मुझे बचानेवाला कोई न होगा।
3 हे यहोवा मेरे परमेश्वर, अगर गलती मेरी है,मैंने कोई अन्याय किया है,
4 किसी की अच्छाई का बदला बुराई से दिया है+या दुश्मन को बेवजह लूटा है,*
5 तो तू दुश्मन को न रोक,वह मेरा पीछा करके मुझे पकड़ ले,मुझे ज़मीन पर रौंदकर मार डाले,मेरी शान मिट्टी में मिला दे। (सेला )
6 हे यहोवा, उठ! अपना क्रोध दिखा,मेरे झुँझलाए हुए दुश्मनों के खिलाफ खड़ा हो,+मेरी खातिर जाग और न्याय की माँग कर।+
7 राष्ट्र तुझे घेर लेंऔर तू ऊँचे पर से उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।
8 यहोवा देश-देश के लोगों को फैसला सुनाएगा।+
हे यहोवा, मेरे नेक और निर्दोष चालचलन के मुताबिकमेरा न्याय कर।+
9 दुष्टों की करतूतों का अंत कर दे,
मगर नेक लोगों को महफूज़ रख,+क्योंकि तू नेक परमेश्वर है,+ जो दिलों को और गहरी भावनाओं को जाँचता है।*+
10 परमेश्वर मेरी ढाल है,+ सीधे-सच्चे मनवालों का उद्धारकर्ता है।+
11 परमेश्वर सच्चा न्यायी है,+वह हर दिन दुष्टों को फैसला* सुनाता है।
12 अगर कोई पश्चाताप न करे,+तो परमेश्वर अपनी तलवार तेज़ करता है,+अपनी कमान चढ़ाता है,+
13 अपने घातक हथियार तैयार करता है,अपने जलते तीरों से निशाना साधता है।+
14 उसे देख जिसकी कोख में दुष्टता पलती है,उसे फसाद का गर्भ ठहरता है, वह झूठ को जन्म देता है।+
15 वह गड्ढा खोदकर उसे और गहरा करता है,मगर उस गड्ढे में वह खुद गिर जाता है।+
16 उसने जो मुसीबत खड़ी की है वह उसी के सिर पड़ेगी,+उसने जो हिंसा की है वह खुद उसका शिकार हो जाएगा।
17 मैं यहोवा के न्याय के लिए उसकी तारीफ करूँगा,+परम-प्रधान यहोवा+ के नाम की तारीफ में गीत गाऊँगा।*+
कई फुटनोट
^ या शायद, “जबकि मैंने उसे छोड़ दिया है जो बेवजह मेरा विरोध करता है।”
^ या “दिलों और गुरदों को परखता है।”
^ या “ज़बरदस्त तरीके से सज़ा।”
^ या “संगीत बजाऊँगा।”