भजन 50:1-23
आसाप+ का सुरीला गीत।
50 सब ईश्वरों से महान परमेश्वर यहोवा+ ने कहा है,पूरब से पश्चिम तक*पूरी धरती को आने का आदेश दिया है।
2 परमेश्वर सिय्योन से, जिसकी खूबसूरती बेमिसाल* है,+ अपना तेज चमकाता है।
3 हमारा परमेश्वर ज़रूर आएगा और वह चुप न रहेगा।+
उसके सामने भस्म करनेवाली आग है,+उसके चारों तरफ ज़ोरदार आँधी चलती है।+
4 उसने आकाश और धरती को आने का आदेश दिया है+ताकि जब वह अपने लोगों का न्याय करे+ तो वे गवाह ठहरें:
5 “मेरे वफादार लोगों को मेरे पास इकट्ठा करो,जिन्होंने बलिदान की बिनाह पर मेरे साथ एक करार किया है।”+
6 आकाश, परमेश्वर की नेकी का ऐलान करता है,क्योंकि परमेश्वर खुद न्यायी है।+ (सेला )
7 “हे मेरी प्रजा, मैं जो कहने जा रहा हूँ उसे सुन,हे इसराएल, मैं तेरे खिलाफ गवाही दूँगा।+
मैं परमेश्वर हूँ, तेरा परमेश्वर।+
8 मैं तेरे बलिदानों की वजह से तुझे नहीं फटकारता,न ही तेरी होम-बलियों की वजह से, जो तू मेरे सामने नियमित तौर पर चढ़ाता है।+
9 मुझे न तो तेरे घर का बैल चाहिए,न तेरे बाड़े के बकरे।+
10 क्योंकि जंगल का हर जानवर मेरा है,हज़ारों पहाड़ों पर रहनेवाले पशु भी मेरे हैं।+
11 मैं पहाड़ों के हर पंछी के बारे में जानता हूँ,+मैदान के अनगिनत जीव-जंतु मेरे हैं।
12 अगर मैं भूखा होता, तो भी तुझसे नहीं कहता,क्योंकि उपजाऊ ज़मीन और उसकी हर चीज़ मेरी है।+
13 मैं क्या बैलों का गोश्त खाऊँगा?बकरों का खून पीऊँगा?+
14 परमेश्वर को धन्यवाद दे, यह तेरा बलिदान होगा+और परम-प्रधान से मानी मन्नतें पूरी कर।+
15 मुसीबत की घड़ी में मुझे पुकार,+
मैं तुझे छुड़ाऊँगा और तू मेरी महिमा करेगा।”+
16 मगर परमेश्वर दुष्ट से कहेगा,
“तुझे मेरे नियमों के बारे में बतानेया मेरे करार+ के बारे में बात करने का क्या हक है?+
17 तू तो शिक्षा* से नफरत करता है,बार-बार मेरी सलाह ठुकरा देता है।+
18 जब तू किसी चोर को देखता है तो उसे सही ठहराता है,*+तू बदचलन लोगों से मेल-जोल रखता है।
19 तू अपने मुँह से बुरी बातें फैलाता है,तेरी जीभ हमेशा छल की बातें कहती है।+
20 तू बैठकर अपने ही भाई के खिलाफ बोलता है,+अपने सगे भाई की खामियाँ दूसरों को बताता है।*
21 जब तूने ये काम किए तो मैं चुप रहाऔर तूने सोच लिया कि मैं भी तेरे जैसा हूँ।
मगर अब मैं तुझे सुधारने के लिए फटकारूँगा,तुझ पर मुकदमा करूँगा।+
22 परमेश्वर को भूलनेवालो, ज़रा इस बात पर गौर करो,+वरना मैं तुम्हारी बोटी-बोटी कर दूँगा और तुम्हें बचानेवाला कोई न होगा।
23 जब कोई मुझे धन्यवाद देता है, जो कि उसका बलिदान है, तो वह मेरी महिमा करता है।+
जो मज़बूत इरादे से सही राह पर चलता रहता है,उसका मैं उद्धार करूँगा।”+
कई फुटनोट
^ या “सूरज के उगने से डूबने तक।”
^ या “परिपूर्ण।”
^ या “हिदायत।”
^ या शायद, “उससे मिल जाता है।”
^ या “को बदनाम करता है।”