भजन 132:1-18

चढ़ाई का गीत। 132  हे यहोवा, दाविद को याद कर,उसके सारे दुखों को याद कर,+   कैसे उसने यहोवा से शपथ खायी थी,याकूब के शक्‍तिशाली परमेश्‍वर से वादा किया था,+   “मैं तब तक अपने तंबू, अपने घर+ नहीं जाऊँगा, अपने दीवान पर, अपने बिस्तर पर नहीं लेटूँगा,   अपनी आँखों में नींद न आने दूँगा,न ही पलकें झपकने दूँगा,   जब तक कि मैं यहोवा के लिए एक जगह,याकूब के शक्‍तिशाली परमेश्‍वर के लिए एक बढ़िया निवास* नहीं ढूँढ़ लेता।”+   देख, हमने इस बारे में एप्राता+ में सुना था,हमने इसे जंगल में पाया था।+   चलो हम उसके निवास* के अंदर जाएँ,+उसके पाँवों की चौकी के आगे झुकें।+   हे यहोवा, उठ! अपने विश्राम की जगह आ,+तू और तेरा संदूक आए जो तेरी ताकत की निशानी है।+   तेरे याजक नेकी की पोशाक पहने हुए होंऔर तेरे वफादार लोग खुशी से जयजयकार करें। 10  अपने सेवक दाविद की खातिरअपने अभिषिक्‍त जन को न ठुकरा।*+ 11  यहोवा ने दाविद से शपथ खायी है,वह अपने इस वादे से हरगिज़ नहीं मुकरेगा: “मैं तेरे वंशजों में से एक कोतेरी राजगद्दी पर बिठाऊँगा।+ 12  अगर तेरे बेटे मेरा करार मानेंगे,उन हिदायतों को मानेंगे जो मैं याद दिलाकर सिखाता हूँ,+तो उनके बेटे भी तेरी राजगद्दी पर सदा बैठेंगे।”+ 13  क्योंकि यहोवा ने सिय्योन को चुना है,+उसे अपना निवास बनाना चाहा+ और कहा: 14  “यह सदा के लिए मेरे विश्राम की जगह होगी,मैं यहाँ निवास करूँगा+ क्योंकि मैं यही चाहता हूँ। 15  मैं इसे खाने-पीने की भरपूर चीज़ें देकर आशीष दूँगा,मैं इसके गरीबों को रोटी देकर संतुष्ट करूँगा।+ 16  मैं इसके याजकों को उद्धार की पोशाक पहनाऊँगा+और इसके वफादार लोग खुशी से जयजयकार करेंगे।+ 17  यहाँ मैं दाविद की ताकत* बढ़ाऊँगा। मैंने अपने अभिषिक्‍त जन के लिए एक दीया तैयार किया है।+ 18  मैं उसके दुश्‍मनों को शर्म का ओढ़ना ओढाऊँगा,मगर उसके सिर का ताज चमकता रहेगा।”+

कई फुटनोट

या “एक शानदार डेरा।”
या “शानदार डेरे।”
शा., “का मुँह न फेर दे।”
शा., “का सींग।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो