सारांश चलाएँ 1 थियुफिलुस के नाम (1-5) दुनिया के कोने-कोने तक गवाह (6-8) यीशु स्वर्ग उठा लिया गया (9-11) चेले एक मकसद से इकट्ठा होते थे (12-14) यहूदा की जगह मत्तियाह चुना गया (15-26) 2 पिन्तेकुस्त के दिन पवित्र शक्ति उँडेली गयी (1-13) पतरस का भाषण (14-36) भाषण सुनकर लोग कदम उठाते हैं (37-41) 3,000 का बपतिस्मा (41) मसीही आपस में संगति करते हैं (42-47) 3 पतरस लँगड़े भिखारी को ठीक करता है (1-10) सुलैमान के खंभोंवाले बरामदे के पास पतरस का भाषण (11-26) ‘सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाएगा’ (21) मूसा जैसा भविष्यवक्ता (22) 4 पतरस और यूहन्ना गिरफ्तार (1-4) विश्वास करनेवाले आदमी 5,000 हो गए (4) महासभा के सामने मुकदमा (5-22) ‘हम बोलना नहीं छोड़ सकते’ (20) निडरता के लिए प्रार्थना (23-31) चेले अपनी चीज़ें आपस में बाँटते थे (32-37) 5 हनन्याह और सफीरा (1-11) प्रेषित कई चमत्कार करते हैं (12-16) जेल में और फिर आज़ाद किए गए (17-21क) फिर से महासभा के सामने (21ख-32) ‘इंसानों के बजाय परमेश्वर की आज्ञा मानना’ (29) गमलीएल की सलाह (33-40) घर-घर प्रचार (41, 42) 6 सेवा के लिए सात आदमी चुने गए (1-7) स्तिफनुस पर निंदा की बातें कहने का इलज़ाम (8-15) 7 महासभा के सामने स्तिफनुस का भाषण (1-53) कुलपिताओं का दौर (2-16) मूसा एक अगुवा; इसराएल ने मूर्तिपूजा की (17-43) परमेश्वर इंसान के बनाए मंदिरों में नहीं रहता (44-50) स्तिफनुस को पत्थरों से मार डाला गया (54-60) 8 ज़ुल्म ढानेवाला शाऊल (1-3) सामरिया में फिलिप्पुस को अच्छे नतीजे मिले (4-13) पतरस और यूहन्ना सामरिया भेजे गए (14-17) शमौन पवित्र शक्ति खरीदने की कोशिश करता है (18-25) इथियोपिया का खोजा (26-40) 9 शाऊल दमिश्क के रास्ते पर (1-9) हनन्याह को शाऊल की मदद करने भेजा गया (10-19क) शाऊल, दमिश्क में यीशु का प्रचार करता है (19ख-25) शाऊल यरूशलेम गया (26-31) पतरस ने ऐनियास को ठीक किया (32-35) दरियादिल दोरकास ज़िंदा की गयी (36-43) 10 कुरनेलियुस को मिला दर्शन (1-8) पतरस ने शुद्ध माने गए जानवरों का दर्शन देखा (9-16) पतरस, कुरनेलियुस के घर गया (17-33) उसने गैर-यहूदियों को खुशखबरी सुनायी (34-43) “परमेश्वर भेदभाव नहीं करता” (34, 35) गैर-यहूदियों को पवित्र शक्ति मिली; उन्होंने बपतिस्मा लिया (44-48) 11 पतरस, प्रेषितों के पास खबर लाता है (1-18) बरनबास और शाऊल सीरिया के अंताकिया में (19-26) चेले पहली बार मसीही कहलाए (26) अगबुस अकाल की भविष्यवाणी करता है (27-30) 12 याकूब का कत्ल; पतरस जेल में (1-5) पतरस चमत्कार से आज़ाद हुआ (6-19) स्वर्गदूत, हेरोदेस को मारता है (20-25) 13 बरनबास और शाऊल मिशनरी बनाए गए (1-3) कुप्रुस में सेवा (4-12) पिसिदिया के अंताकिया में पौलुस का भाषण (13-41) भविष्यवाणी में, दूसरे राष्ट्रों के पास जाने की आज्ञा (42-52) 14 इकुनियुम में तरक्की और विरोध (1-7) लुस्त्रा में उन्हें देवता समझा गया (8-18) पौलुस पत्थरों से मारे जाने के बावजूद बच गया (19, 20) मंडलियों को मज़बूत किया गया (21-23) सीरिया के अंताकिया लौट गए (24-28) 15 खतने को लेकर अंताकिया में बहस (1, 2) मसला यरूशलेम पहुँचा (3-5) प्राचीनों और प्रेषितों की बैठक (6-21) शासी निकाय की चिट्ठी (22-29) खून से दूर रहो (28, 29) चिट्ठी से मंडलियों का हौसला बढ़ा (30-35) पौलुस और बरनबास अलग-अलग रास्ते चल दिए (36-41) 16 पौलुस तीमुथियुस को चुनता है (1-5) दर्शन में मकिदुनिया का आदमी दिखा (6-10) फिलिप्पी में लुदिया विश्वासी बनती है (11-15) पौलुस और सीलास को जेल (16-24) जेलर और उसका घराना बपतिस्मा लेता है (25-34) पौलुस कहता है, अधिकारी माफी माँगें (35-40) 17 पौलुस और सीलास थिस्सलुनीके में (1-9) पौलुस और सीलास बिरीया में (10-15) पौलुस एथेन्स में (16-22क) अरियुपगुस में पौलुस का भाषण (22ख-34) 18 कुरिंथ में पौलुस का प्रचार (1-17) सीरिया के अंताकिया लौटता है (18-22) पौलुस गलातिया और फ्रूगिया के लिए निकला (23) कुशल वक्ता अपुल्लोस की मदद की गयी (24-28) 19 पौलुस इफिसुस में; कुछ लोगों का दोबारा बपतिस्मा (1-7) पौलुस ने कहाँ-कहाँ सिखाया (8-10) दुष्ट स्वर्गदूतों के दबदबे के बावजूद कामयाबी (11-20) इफिसुस में दंगा (21-41) 20 पौलुस मकिदुनिया और यूनान में (1-6) त्रोआस में युतुखुस ज़िंदा किया गया (7-12) त्रोआस से मीलेतुस तक का सफर (13-16) पौलुस इफिसुस के प्राचीनों से मिला (17-38) घर-घर सिखाना (20) ‘देने में ज़्यादा खुशी है’ (35) 21 यरूशलेम के सफर पर (1-14) वे यरूशलेम पहुँचे (15-19) पौलुस प्राचीनों की सलाह मानता है (20-26) मंदिर में दंगा; पौलुस गिरफ्तार (27-36) उसे भीड़ से बात करने की इजाज़त मिली (37-40) 22 पौलुस भीड़ के सामने सफाई देता है (1-21) पौलुस रोमी नागरिकता का इस्तेमाल करता है (22-29) महासभा इकट्ठा हुई (30) 23 पौलुस महासभा के सामने बोलता है (1-10) पौलुस को प्रभु ने हिम्मत दी (11) पौलुस के कत्ल की साज़िश (12-22) पौलुस को कैसरिया ले जाया गया (23-35) 24 पौलुस पर इलज़ाम (1-9) फेलिक्स के सामने पौलुस सफाई देता है (10-21) पौलुस का मुकदमा दो साल तक टाल दिया गया (22-27) 25 फेस्तुस के सामने पौलुस का मुकदमा (1-12) “मैं सम्राट से फरियाद करता हूँ!” (11) फेस्तुस, राजा अग्रिप्पा से सलाह-मशविरा करता है (13-22) पौलुस अग्रिप्पा के सामने (23-27) 26 पौलुस अग्रिप्पा के सामने सफाई पेश करता है (1-11) पौलुस बताता है कि वह कैसे मसीही बना (12-23) फेस्तुस और अग्रिप्पा ने क्या कहा (24-32) 27 पौलुस जहाज़ से रोम जाता है (1-12) जहाज़ तूफान में (13-38) जहाज़ टूट गया (39-44) 28 माल्टा के किनारे जा पहुँचे (1-6) पुबलियुस का पिता बीमारी से ठीक हुआ (7-10) रोम की तरफ (11-16) रोम में पौलुस यहूदियों से बात करता है (17-29) पौलुस दो साल तक निडरता से प्रचार करता है (30, 31) पिछला अगला प्रिंट करें दूसरों को भेजें दूसरों को भेजें प्रेषितों—सारांश पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल) प्रेषितों—सारांश हिंदी प्रेषितों—सारांश https://cms-imgp.jw-cdn.org/img/p/1001070000/univ/art/1001070000_univ_sqr_xl.jpg nwtsty प्रेषितों इस प्रकाशन की कॉपीराइट Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania. इस्तेमाल की शर्तें | गोपनीयता नीति | PRIVACY SETTINGS