झूठी दलीलों से खुद को धोखा मत दीजिए
झूठी दलीलों से खुद को धोखा मत दीजिए
जब हव्वा ने मना किया हुआ फल खा लिया तब परमेश्वर ने उससे पूछा: “तूने यह क्या किया है?” तब उसने कहा: “सर्प ने मुझे बहका दिया तब मैं ने खाया।” (उत्प. 3:13) धूर्त शैतान ने साँप के ज़रिए उसे परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने के लिए बहका दिया। और वही बाद में “पुराना साँप” कहलाया, “जो सारे जगत को गुमराह करता है।”—प्रका. 12:9.
उत्पत्ति की किताब में दिया यह वाकया इस बात का खुलासा करता है कि शैतान धूर्त है और बेखबर लोगों को अपने चंगुल में फँसाने के लिए झूठ का जाल बुनता है। और हव्वा वाकई उसके जाल में फँस गयी! लेकिन हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि सिर्फ शैतान ही हमें गुमराह करता है। बाइबल आगाह करती है कि हम भी “खुद को” “झूठी दलीलों से . . . धोखा” दे सकते हैं।—याकू. 1:22.
खुद को धोखा देने की बात शायद हमें बिलकुल अनहोनी, यहाँ तक कि असंभव लगे। लेकिन परमेश्वर ने हमें यह चेतावनी ज़रूर किसी मकसद से दी है। इसलिए इस बात पर गौर करना अच्छा होगा कि हम कैसे खुद को धोखा दे सकते हैं और किस तरह की झूठी दलीलें हमें गुमराह कर सकती हैं। बाइबल के उदाहरण हमारी मदद कर सकते हैं।
खुद को धोखा देना
बात करीब 537 ईसा पूर्व की है जब फारस के राजा कुस्रू ने फरमान जारी करवाया कि बैबिलोन की कैद में पड़े यहूदियों को वापस यरूशलेम भेज दिया जाए और मंदिर को दोबारा बनाया जाए। (एज्रा 1:1, 2) उसके अगले साल यहोवा के मकसद के मुताबिक लौटे हुए यहूदियों ने नए मंदिर की बुनियाद डाली। उन्होंने खुशियाँ मनायीं और इस काम पर जिस तरह से यहोवा ने आशीष दी, उसके लिए उन्होंने उसकी महिमा की। (एज्रा 3:8, 10, 11) लेकिन जल्द ही उनका विरोध होने लगा और वे निराश हो गए। (एज्रा 4:4) उनके लौटने के करीब 15 साल बाद फारस के अधिकारियों ने यरूशलेम में मंदिर बनाने का काम पूरी तरह बंद करवा दिया। इसके लिए वहाँ के अधिकारी यरूशलेम पहुँचे और उन्होंने “शस्त्र-बल प्रयोग द्वारा [यहूदियों को] रोक दिया।”—एज्रा 4:21-24, NHT.
इस बड़ी मुसीबत के आने पर यहूदी खुद को झूठी दलीलों से धोखा देने लगे। उन्होंने खुद से कहा: “यहोवा का भवन बनाने का समय नहीं आया है।” (हाग्गै 1:2) वे इस नतीजे पर पहुँचे की परमेश्वर नहीं चाहता कि उसका मंदिर अभी बनाया जाए। परमेश्वर का मंदिर बनाने के लिए कोई तरीका ढूँढ़ने के बजाय, वे अपने घरों की मरम्मत करने में पूरी तरह लग गए। उन्होंने परमेश्वर की इच्छा की परवाह नहीं की। इसलिए परमेश्वर के भविष्यवक्ता ने उनसे सीधे-सीधे पूछा: “क्या तुम्हारे लिये अपने छतवाले घरों में रहने का समय है, जब कि यह भवन [यहोवा का मंदिर] उजाड़ पड़ा है?”—हाग्गै 1:4.
क्या आपको इस उदाहरण से कोई सीख मिलती है? अगर हम परमेश्वर के मकसद के प्रति समय के बारे में गलत धारणा रखें तो हम अपने निजी कामों में इस कदर डूब सकते हैं कि हमारी नज़र में आध्यात्मिक कामों की अहमियत कम हो सकती है। इसे समझने के लिए एक मिसाल लीजिए। कल्पना कीजिए कि आपके घर मेहमान आनेवाले हैं। उनके ठहरने के लिए आपको बहुत-से इंतज़ाम करने हैं इसलिए आप उसकी तैयारी में पूरी तरह जुट जाते हैं। फिर आपको खबर मिलती है कि मेहमानों के आने में देर हो जाएगी। क्या आप सारी तैयारियाँ बंद कर देंगे?
हाग्गै और जकर्याह ने यहूदियों को यह समझने में मदद दी कि यहोवा चाहता है कि बिना देर किए उसका मंदिर बनाया जाए। हाग्गै ने इस तरह आग्रह किया: “देश हाग्गै 2:4) उन्हें अपना काम इस भरोसे के साथ पूरा करना था कि यहोवा उनके साथ है। (जक. 4:6, 7) क्या यह उदाहरण यह देखने में हमारी मदद कर सकता है कि हम यहोवा के दिन के बारे में गलत नतीजे पर ना पहुँचें?—1 कुरिं. 10:11.
के सब लोगों हियाव बान्धकर काम करो।” (झूठी दलीलों को नकारना और साफ-साफ सोचना
अपने दूसरे खत में प्रेषित पतरस ने “नए आकाश और नयी पृथ्वी” के स्थापित किए जाने की यहोवा की समय सारणी पर गौर किया। (2 पत. 3:13) उसने बताया कि कुछ विरोधियों ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या यहोवा इंसान के मामले में कभी दखल देगा? विरोधियों ने बहस की कि कुछ नहीं होनेवाला और “सबकुछ बिलकुल वैसा ही चल रहा है, जैसा सृष्टि की शुरूआत से था।” (2 पत. 3:4) पतरस ऐसी दलीलों को झूठा साबित करना चाहता था। उसने लिखा: “मैं तुम्हें कुछ बातें याद दिलाकर, साफ-साफ सोचने की तुम्हारी काबिलीयत को जगा रहा हूँ।” फिर उसने सच्चे मसीहियों को याद दिलाया कि विरोधियों की सोच गलत है क्योंकि परमेश्वर ने सालों पहले जलप्रलय लाकर इंसानों के मामले में दखल दिया था।—2 पत. 3:1, 5-7.
हाग्गै ने भी ईसा पूर्व 520 में ठंडे पड़ चुके निराश यहूदियों को ऐसी ही सलाह दी थी। उसने उनसे कहा: ‘अपने अपने चालचलन पर ध्यान करो।’ (हाग्गै 1:5) अपने संगी उपासकों की सोचने समझने की योग्यता को उभारने के लिए हाग्गै ने उन्हें परमेश्वर के मकसद और उसके वादों के बारे में याद दिलाया जो उसने अपने लोगों से किए थे। (हाग्गै 1:8; 2:4, 5) उसकी बातों से हौसला पाकर यहूदियों ने अधिकारियों की रुकावट के बावजूद मंदिर का काम शुरू कर दिया। एक बार फिर विरोधियों ने काम को रोकने की कोशिश की, मगर इस बार वे कामयाब नहीं हुए। उनके काम पर लगा प्रतिबंध हटा दिया गया और पाँच साल में मंदिर बनकर खड़ा हो गया।—एज्रा 6:14, 15; हाग्गै 1:14, 15.
अपने चालचलन पर ध्यान देना
क्या आपको लगता है कि हाग्गै के दिनों के यहूदियों की तरह हम भी मुश्किलों का सामना करते वक्त निराश हो सकते हैं? अगर ऐसा हुआ तो खुशखबरी सुनाने में हमारा जोश ठंडा पड़ सकता है। लेकिन हम क्यों निराश हो सकते हैं? हो सकता है, दुनिया में हो रहे अन्याय की वजह से हम ऐसा महसूस करें। ज़रा हबक्कूक के बारे में सोचिए, जिसने आह भरते हुए कहा: “हे यहोवा मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूंगा, और तू न सुनेगा? मैं कब तक तेरे सम्मुख “उपद्रव”, “उपद्रव”, चिल्लाता रहूंगा? क्या तू उद्धार नहीं करेगा?” (हब. 1:2) कुछ मसीही सोचते हैं कि यहोवा का दिन आने में अभी देर है इसलिए वे वक्त की नज़ाकत को भूल जाते हैं और ऐशो-आराम की ज़िंदगी को अहमियत देने लगते हैं। क्या आपके साथ भी ऐसा हो रहा है? अगर हम इस तरह की सोच रखेंगे तो हम खुद को धोखा दे रहे होंगे। कितना ज़रूरी है कि हम बाइबल की सलाह को ध्यान में रखें कि ‘अपने चालचलन पर ध्यान दें’ और ‘सोचने की अपनी काबिलीयत को जगाएँ।’ हम खुद से पूछ सकते हैं: ‘क्या यह सोचकर मुझे ताज्जुब होता है कि मेरे हिसाब से यह दुष्ट संसार बहुत पहले खत्म हो जाना चाहिए था?’
जिस दौर के बारे में बाइबल बताती है
इस दुनिया के अंत के बारे में यीशु की भविष्यवाणी पर गौर कीजिए। मरकुस का वृत्तांत बताता है मर. 13:33-37) प्रकाशितवाक्य की किताब में, जहाँ यहोवा के महान दिन हर-मगिदोन की भविष्यवाणी की गयी है, वहाँ भी हम ऐसी ही चेतावनी पढ़ते हैं। (प्रका. 16:14-16) यह चेतावनी बार-बार क्यों दी गयी है? क्योंकि जब लोगों को लगने लगता है कि यहोवा का दिन आने में बहुत देर हो रही है तो उनका जोश ठंडा पड़ सकता है। इसलिए बेहद ज़रूरी है कि उन्हें बार-बार यह याद दिलाया जाए।
कि यीशु ने सचेत रहने के लिए बार-बार चेतावनी दी। (यीशु का उदाहरण बताता है कि जैसे-जैसे हम इस दुष्ट व्यवस्था के अंत का इंतज़ार कर रहे हैं, हमें लगातार जागते रहने की ज़रूरत है। वह एक ऐसे घर-मालिक के बारे में बताता है जिसके घर चोरी हो गयी थी। वह इससे कैसे बच सकता था? अगर वह पूरी रात जागता रहता तो उसके घर चोरी नहीं होती। यीशु ने सलाह देते हुए उस उदाहरण के आखिर में कहा: “तुम भी तैयार रहने का सबूत दो, क्योंकि जिस घड़ी तुमने सोचा भी न होगा, उस घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है।”—मत्ती 24:43, 44.
यह उदाहरण दिखाता है कि हमें इंतज़ार करने के लिए तैयार रहना चाहिए, फिर चाहे वक्त कितना ही लंबा क्यों न लगे। हमें हर वक्त यह नहीं सोचते रहना चाहिए कि इस दुनिया को कब का खत्म हो जाना चाहिए था, ऐसा क्यों नहीं हो रहा है। हमें खुद को झूठी दलीलों से धोखा नहीं देना चाहिए कि ‘यहोवा का समय अभी नहीं आया है।’ इस तरह की सोच प्रचार काम के लिए हमारा जोश ठंडा कर देगी।—रोमि. 12:11.
झूठी दलीलों को उखाड़ फेंकना
झूठी दलीलों के बारे में गलातियों 6:7 में दिया सिद्धांत लागू होता है: “धोखे में न रहो . . . इंसान जो बोएगा, वही काटेगा भी।” अगर ज़मीन में कुछ न बोया जाए तो उसमें आसानी से जंगली घास उग आएगी। उसी तरह अगर हम सही सोच पैदा न करें, तो झूठी दलीलें दिमाग में जड़ पकड़ लेंगी। उदाहरण के लिए हम खुद से कह सकते हैं: ‘बेशक यहोवा का दिन आएगा, मगर इतनी जल्दी नहीं।’ यहोवा के दिन के बारे में अगर हम ऐसी सोच रखेंगे तो आध्यात्मिक कामों के बारे में हमारे नज़रिए पर इसका असर पड़ेगा। कुछ समय के बाद हम परमेश्वर के कामों को नज़रअंदाज़ करने लग सकते हैं। और तब यहोवा का दिन हम पर अचानक आ पड़ेगा!—2 पत. 3:10.
अगर हम लगातार “परमेश्वर की भली, उसे भानेवाली और उसकी सिद्ध इच्छा” पूरी करते रहेंगे, तो झूठी दलीलें हमारे दिलो-दिमाग में जड़ नहीं पकड़ेंगी। (रोमि. 12:2) इन अंतिम दिनों में नियमित तौर पर परमेश्वर का वचन पढ़ना सबसे अच्छी मदद साबित हो सकता है। बाइबल हमारे इस विश्वास को मज़बूत कर सकती है कि यहोवा हमेशा अपने ठहराए समय पर कदम उठाता है।—हब. 2:3.
अध्ययन, प्रार्थना, सभाओं में नियमित हाज़िरी और प्रचार काम के साथ-साथ भले काम करने से हम ‘यहोवा के दिन के आने की बात को हमेशा अपने मन में रख सकेंगे।’ (2 पत. 3:11, 12) यहोवा हमारी वफादारी को नहीं भूलेगा। प्रेषित पौलुस हमें याद दिलाता है: “आओ हम बढ़िया काम करने में हार न मानें, क्योंकि अगर हम हिम्मत न हारें, तो वक्त आने पर ज़रूर फल पाएँगे।”—गला. 6:9.
यह वक्त झूठी दलीलों से खुद को धोखा देने का नहीं है कि यहोवा का दिन आने में अभी देर है। इसके बजाय यह वक्त अपने दिल को मज़बूत करने का है क्योंकि यहोवा का दिन करीब आ पहुँचा है।
[पेज 4 पर तसवीर]
हाग्गै और जकर्याह ने यहूदियों से मंदिर बनाने का आग्रह किया
[पेज 5 पर तसवीर]
अगर घर-मालिक को पता होता कि चोर आनेवाला है तो वह क्या करता?