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क्या आप मोबाइल और टैबलेट का समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं?

क्या आप मोबाइल और टैबलेट का समझदारी से इस्तेमाल कर रहे हैं?

जैनी को एक वीडियो गेम खेलने की लत लग गयी है। वह कहती है, “अब मैं हर दिन 8 घंटे खेलती हूँ और यह वाकई मेरे लिए एक बड़ी समस्या बन गयी है।”

डेनिस ने सात दिन तक बगैर मोबाइल और इंटरनेट के रहने की कोशिश की, लेकिन वह सिर्फ 40 घंटे तक ही ऐसा कर पाया।

जैनी और डेनिस 15-16 साल के बच्चे नहीं हैं। जैनी 40 साल की है और उसके चार बच्चे हैं और डेनिस 49 साल का है।

क्या आप मोबाइल या टैबलेट इस्तेमाल करते हैं? बेशक, आपमें से ज़्यादातर लोग इनका इस्तेमाल करते होंगे। और क्यों न हो, आज हम इनकी मदद से आसानी से दोस्तों से बातचीत कर सकते हैं, मनोरंजन कर सकते हैं और काम के लिए भी इनका काफी इस्तेमाल करते हैं।

लेकिन जैनी और डेनिस की तरह कई लोगों को अपने मोबाइल, टैबलेट वगैरह से बहुत ज़्यादा लगाव हो जाता है। जैसे, 20 साल की नीकोल बताती है, “मुझे यह कहते हुए बहुत बुरा लग रहा है, लेकिन सच तो यह है कि मेरा सबसे अच्छा दोस्त मेरा मोबाइल है। मैं हमेशा इस बात का ध्यान रखती हूँ कि मेरा मोबाइल हर वक्‍त मेरे पास हो। जब मैं ऐसी जगह होती हूँ, जहाँ मोबाइल पर सिग्नल नहीं मिलता, तो मैं बहुत बेचैन हो जाती हूँ। और अगर मैं आधे घंटे तक मेसेज न देख पाऊँ, तो मुझसे रहा नहीं जाता। मैं जानती हूँ यह एक तरह का पागलपन है!”

कुछ लोग तो रात-भर अपना मोबाइल-टैबलेट देखते रहते हैं कि कहीं उन्हें कोई नया मेसेज तो नहीं आया। और अगर उनके पास अपना मोबाइल, टैबलेट या इंटरनेट न हो, तो वे बहुत बेचैन और चिढ़-चिढ़े हो जाते हैं। कुछ जानकारों का कहना है कि इस तरह इंटरनेट, या फिर मोबाइल, टैबलेट वगैरह का आदि हो जाना एक तरह की लत है। तो कुछ जानकारों का कहना है कि इस तरह पेश आना इतना भी बुरा नहीं कि इसे एक “लत” कहा जाए, लेकिन वे यह ज़रूर मानते हैं कि जिन्हें यह आदत पड़ जाती है, उन पर एक तरह का जुनून सवार हो जाता है और यह उनके लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है।

लोग चाहे इसे एक “लत” कहें या एक समस्या, एक बात तो तय है कि मोबाइल, टैबलेट वगैरह का गलत इस्तेमाल करने के बुरे अंजाम हो सकते हैं। कुछ मामलों में तो इस वजह से परिवार के सदस्यों के बीच दूरियाँ आ गयी हैं। जैसे कि 20 साल की एक लड़की कहती है, “आज-कल मेरे पापा को इस बात का कोई अंदाज़ा ही नहीं है कि मेरी ज़िंदगी में क्या चल रहा है। वह सोफे पर बैठकर जब मुझसे बात करते हैं, तो उनका ध्यान मेरी बात की तरफ नहीं बल्कि ई-मेल लिखने में रहता है। उनका फोन हमेशा उनके हाथ में रहता है। मुझे पता है कि पापा मेरी परवाह करते हैं, लेकिन कई बार तो ऐसा लगता है कि उन्हें मेरी कोई परवाह ही नहीं।”

कुछ दिन मोबाइल-टैबलेट के बिन

जो लोग मोबाइल, टैबलेट वगैरह का हद-से-ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनकी यह आदत छुड़ाने के लिए चीन, दक्षिण कोरिया, युनाइटेड किंगडम और अमरीका जैसे देशों ने कुछ केन्द्र खोले हैं, जहाँ कुछ दिनों के लिए वे न तो इंटरनेट का और न ही मोबाइल, टैबलेट वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं। मिसाल के लिए, ब्रेट नाम का जवान कहता है कि उसकी ज़िंदगी में एक समय ऐसा था जब वह एक दिन में 16 घंटों तक इंटरनेट पर गेम खेलता था। वह कहता है, “जब भी मैं इंटरनेट का इस्तेमाल करता था, मुझे मानो नशा-सा चढ़ जाता था।” जब वह उस केन्द्र में भर्ती हुआ, उस वक्‍त वह बेरोज़गार था, उसने नहाना-धोना छोड़ दिया था, और उसका कोई दोस्त नहीं रह गया था। आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आप क्या कर सकते हैं?

जाँचिए कि आप किस हद तक मोबाइल-टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं। तय कीजिए कि मोबाइल, टैबलेट वगैरह का आपकी ज़िंदगी पर कैसा असर हो रहा है। खुद से ये सवाल पूछिए:

  • क्या मैं इंटरनेट, मोबाइल, टैबलेट वगैरह के बिना बहुत चिढ़-चिढ़ा होने लगता हूँ, यहाँ तक कि अपना आपा भी खो बैठता हूँ?

  • इंटरनेट या मोबाइल वगैरह इस्तेमाल करने के लिए मैंने जो वक्‍त ठहराया है, क्या मैं उससे कहीं ज़्यादा वक्‍त बिताता हूँ?

  • क्या बार-बार मेसेज देखने की वजह से मेरी नींद पूरी नहीं हो रही है?

  • क्या मैं मोबाइल या टैबलेट इस्तेमाल करने की वजह से अपने परिवार पर ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ? इस सवाल का मैं जो जवाब दूँगा, क्या मेरे परिवारवाले उससे सहमत होंगे?

अगर मोबाइल, टैबलेट वगैरह का हद-से-ज़्यादा इस्तेमाल करने की वजह से आप “ज़्यादा अहमियत रखनेवाली” बातों पर ध्यान नहीं दे रहें हैं, जैसे अपने परिवार की देखभाल करना और दूसरी ज़िम्मेदारियाँ निभाना, तो अच्छा होगा कि आप फौरन कदम उठाएँ। (फिलिप्पियों 1:10) आप यह कैसे कर सकते हैं?

अपने लिए हदें ठहराइए। कहा जाता है कि किसी भी चीज़ की अति अच्छी नहीं होती। इसलिए चाहे आप मोबाइल, टैबलेट वगैरह का इस्तेमाल व्यापार के लिए करते हों या मनोरंजन के लिए, तय कीजिए कि आप इनका कितने समय तक इस्तेमाल करेंगे और फिर वैसा ही कीजिए।

इसे आज़माइए: इस सिलसिले में क्यों न आप अपने परिवार के किसी सदस्य या किसी दोस्त की मदद लें? पवित्र शास्त्र में भी लिखा है, “एक से दो अच्छे हैं, . . . क्योंकि यदि उनमें से एक गिरे, तो दूसरा उसको उठाएगा।”—सभोपदेशक 4:9, 10.

ऐसा न हो कि मोबाइल और टैबलेट की तरफ हमारा झुकाव एक “लत” बन जाए

आजकल ऐसे नए-नए मोबाइल और टैबलेट निकल रहें है, जिनके ज़रिए आसानी से और पल-भर में ई-मेल, संगीत, वीडियो और तसवीरें भेजी जा सकती हैं और गेम्स डाउनलोड किए जा सकते हैं। लेकिन ध्यान रखिए, ऐसा न हो कि मोबाइल या टैबलेट की तरफ हमारा झुकाव एक “लत” बन जाए। पवित्र शास्त्र हमें बढ़ावा देता है कि हम वक्‍त का अच्छी तरह इस्तेमाल करें। (इफिसियों 5:16) अगर हम ऐसा करेंगे, तो हम मोबाइल और टैबलेट के गुलाम बनने से दूर रह सकते हैं। ▪ (g15-E 04)