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अफ्रीका और अमरीका के बीच गुलामी का बड़ा व्यापार

गुलामी से आज़ादी, पुराने ज़माने में और आज

गुलामी से आज़ादी, पुराने ज़माने में और आज

ब्लेसिंग * को यह कहकर यूरोप बुलाया गया कि उसे बाल काटने (हेयरड्रेसर) का काम मिलेगा। लेकिन वहाँ पहुँचने पर 10 दिन तक उसे खूब मारा-पीटा गया और कहा गया कि उसे वेश्या बनना पड़ेगा, वरना उसके परिवारवालों के साथ बहुत बुरा किया जाएगा। आखिरकार उसे मजबूरन वेश्या के तौर पर काम करना पड़ा।

प्राचीन मिस्र के गुलाम

ब्लेसिंग की मालकिन ने 40,000 यूरो (आज करीब 29 लाख रुपए) का कर्ज़ यह कहकर उसके मत्थे मढ़ दिया कि यह उसे यूरोप तक लाने का खर्च है। यह कर्ज़ चुकाने के लिए उसे हर रात 200 से 300 यूरो (आज करीब 14,000-21,000 रुपए) कमाने पड़ते। ब्लेसिंग कहती है, “मैंने कई बार सोचा कि यहाँ से भाग जाऊँ, पर डरती थी कि कहीं ये लोग मेरे परिवारवालों को कुछ कर न दें। मैं बुरी तरह फँस गयी थी।” उसकी कहानी उन 40 लाख लोगों की दास्तान बयान करती है, जो पूरी दुनिया में देह-व्यापार में फँसे हुए हैं या एक तरह की गुलामी में हैं।

करीब 4,000 साल पहले यूसुफ नाम के एक नौजवान को उसके भाइयों ने बेच दिया था। आखिरकार उसे मिस्र के एक बड़े आदमी के घर में गुलामी करनी पड़ी। शुरू में उसके साथ बुरा बरताव नहीं किया गया, जैसे ब्लेसिंग के साथ किया गया। लेकिन बाद में जब उसके मालिक की पत्नी ने उस पर अनैतिक काम करने का दबाव डाला और उसने इनकार कर दिया, तो उस पर बलात्कार की कोशिश करने का झूठा इलज़ाम लगाया गया। उसे जेल में डाल दिया गया और ज़ंजीरों से जकड़ दिया गया।—उत्पत्ति 39:1-20; भजन 105:17, 18.

यूसुफ पुराने ज़माने का गुलाम था और ब्लेसिंग 21वीं सदी की गुलाम। मगर दोनों ही मानव तस्करी के शिकार थे। यह एक ऐसा व्यापार है, जिसमें इंसानों को बेचकर पैसा कमाया जाता है, मानो वे इंसान नहीं कोई चीज़ हों।

युद्धों से बढ़ा गुलामी का व्यापार

युद्ध में जीत हासिल करना गुलाम पाने का सबसे आसान तरीका था। कहा जाता है कि मिस्र का राजा थुतमोस तृतीय एक बार कनान देश से युद्ध करके 90,000 गुलाम ले आया। मिस्रियों ने इन गुलामों से नहर खुदवाने में, मंदिर बनाने में और खदानों में काम करवाया।

रोमी हुकूमत ने भी युद्ध करके बड़ी तादाद में गुलाम हासिल किए। कई बार तो गुलाम पाने के लिए युद्ध किए गए। माना जाता है कि पहली सदी तक रोम शहर की आधी आबादी गुलामों से बनी थी। मिस्र और रोम में गुलामों के साथ बहुत बुरा सलूक किया जाता था। रोम के खदानों में काम करनेवाले गुलाम करीब 30 साल ही जी पाते थे।

वक्‍त के गुज़रते गुलामी की प्रथा में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बजाय धीरे-धीरे यह एक व्यापार बन गया। जैसे, 16वीं सदी से लेकर 19वीं सदी तक अफ्रीका और अमरीका के बीच गुलामी बहुत बड़ा व्यापार था। यूनेस्को संस्था की एक रिपोर्ट बताती है कि उस दौरान करीब ढाई से तीन करोड़ आदमी, औरतों और बच्चों को अपहरण करके बेच दिया गया। अटलांटिक महासागर पार करते समय लाखों लोगों की सफर के दौरान ही मौत हो गयी। ओलाऊडा एक्वीआनो नाम का एक गुलाम उस दौरान बच गया था। उसने इस सफर के बारे में कहा, “औरतों का चीखना और मरनेवालों का कराहना, यह सब इतना भयानक था कि इसका बयान नहीं किया जा सकता।”

दुख की बात है कि गुलामी का व्यापार सिर्फ इतिहास की बात नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक आज भी करीब 2 करोड़ 10 लाख आदमी, औरतें और बच्चे गुलामी में हैं। कुछ लोगों को बस नाम के लिए पैसा दिया जाता है, तो कुछ ऐसे हैं जिन्हें कोई पैसा नहीं मिलता। गुलामों से आजकल खदानों में, कारखानों में, ईंट के भट्ठों में या घरों में काम करवाया जाता है या फिर वेश्यावृत्ति करवायी जाती है। हालाँकि गुलामी गैर-कानूनी है, फिर भी इस तरह की गुलामी बढ़ती जा रही है।

लाखों लोग आज भी गुलामी में

गुलामी से आज़ादी

क्रूर व्यवहार की वजह से कई गुलामों ने आज़ादी पाने के लिए विद्रोह किया। ईसा पूर्व पहली सदी में स्पार्टाकस नाम के एक गुलाम ने 1,00,000 गुलामों के साथ मिलकर रोम से विद्रोह किया, लेकिन वह कामयाब नहीं हुआ। अठारहवीं सदी में कैरिबियन द्वीपसमूह के हिसपनयोला द्वीप में गुलामों ने अपने मालिकों से बगावत की। उन गुलामों से गन्नों के खेतों में कड़ी मेहनत करवायी जाती थी और उनके साथ बहुत बुरा सलूक किया जाता था। इस वजह से उन्होंने युद्ध छेड़ दिया। यह युद्ध तेरह साल तक चला। आखिरकार 1804 में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, जो हैती कहलाया।

लेकिन जिस तरह इसराएलियों को मिस्र से छुड़ाया गया, उस तरह गुलामों को कभी भी आज़ादी नहीं मिली थी। करीब 30 लाख लोग यानी एक पूरा राष्ट्र मिस्र की गुलामी से आज़ाद हुआ। पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि जब इसराएली मिस्र में गुलाम थे, तो “उनसे बुरे-से-बुरे हालात में कड़ी मज़दूरी” करवायी जाती। (निर्गमन 1:11-14) मिस्र के एक राजा ने तो उनकी आबादी कम करने के लिए उनके नन्हे-मुन्ने बच्चों की हत्या करवायी। (निर्गमन 1:8-22) उनका हाल बहुत ही बुरा था, उन्हें इस सब से छुटकारा मिलना ही चाहिए था।

इसराएलियों का मिस्र की गुलामी से आज़ाद होना एक अनोखी बात थी, क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें छुड़ाया था। परमेश्वर ने मूसा नाम के आदमी से कहा था, ‘मैं अपने लोगों का दुख अच्छी तरह समझ सकता हूँ। इसलिए मैं उन्हें छुड़ाऊँगा।’ (निर्गमन 3:7, 8) इस छुटकारे की याद में आज भी पूरी दुनिया में यहूदी हर साल फसह का त्योहार मनाते हैं।—निर्गमन 12:14.

गुलामी से हमेशा के लिए आज़ादी

पवित्र शास्त्र में लिखा है कि “हमारा परमेश्वर यहोवा कभी अन्याय नहीं करता” और वह आज भी बदला नहीं है। (2 इतिहास 19:7; मलाकी 3:6) उसने अपने बेटे यीशु को धरती पर भेजा, ताकि वह ‘बंदियों को रिहाई का और कुचले हुओं को आज़ादी का संदेश’ दे। (लूका 4:18) क्या इसका मतलब कि सभी गुलामों को आज़ादी मिल जाती? नहीं। यीशु असल में लोगों को पाप और मौत की गुलामी से आज़ादी दिलाने आया था। उसने कहा था, “सच्चाई तुम्हें आज़ाद करेगी।” (यूहन्ना 8:32) यीशु ने जो सच्चाई बतायी यानी उसने परमेश्वर और उसके स्तरों के बारे में जो सिखाया, उससे आज भी लोग कई मायनों में आज़ादी पा रहे हैं।—“ एक अलग किस्म की गुलामी से आज़ादी” नाम का बक्स देखिए।

परमेश्वर ने यूसुफ और ब्लेसिंग को अलग-अलग तरीके से गुलामी से आज़ाद किया। यूसुफ की कहानी हम पवित्र शास्त्र बाइबल में उत्पत्ति की किताब के अध्याय 39 से 41 में पढ़ सकते हैं। ब्लेसिंग की आज़ादी की कहानी भी अनोखी है।

जब ब्लेसिंग को यूरोप के एक देश से निकाल दिया गया, तो वह स्पेन चली गयी। वहाँ उसकी मुलाकात यहोवा के साक्षियों से हुई और वह उनके साथ बाइबल पढ़ने लगी। अपनी ज़िंदगी में सुधार लाने के इरादे से वह नौकरी करने लगी। उसने अपनी पुरानी मालकिन से कहकर हर महीने की किश्त थोड़ी कम करवा ली। एक दिन उसकी मालकिन ने उसे फोन किया और कहा कि उसने ब्लेसिंग का कर्ज़ माफ कर दिया है। फिर उसने ब्लेसिंग से माफी भी माँगी। आखिर ऐसा क्या हुआ? वह भी यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल पढ़ने लगी थी! ब्लेसिंग कहती है, “सच्चाई आपको इस तरह आज़ादी दिलाती है कि आप सोच भी नहीं सकते।”

जब परमेश्वर ने मिस्र में इसराएलियों के साथ हो रही बदसलूकी देखी, तो उसे बहुत दुख हुआ। आज भी लोगों के साथ नाइंसाफी होते देखकर उसे बहुत दुख होता है। भले ही इंसानों को हर तरह की गुलामी खत्म करना नामुमकिन लगे, लेकिन परमेश्वर यहोवा यह कर सकता है और वह करेगा भी। शास्त्र में लिखा है, “हम परमेश्वर के वादे के मुताबिक एक नए आकाश और नयी पृथ्वी का इंतज़ार कर रहे हैं, जहाँ नेकी का बसेरा होगा।”—2 पतरस 3:13.

^ पैरा. 2 नाम बदल दिया गया है।