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अध्ययन लेख 21

यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब कैसे देता है?

यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब कैसे देता है?

“हमें पूरा यकीन है कि हम उससे जो भी माँगते हैं वह हमें ज़रूर देगा।”​—1 यूह. 5:15.

गीत 41 मेरी दुआ सुन!

एक झलक a

1-2. जब प्रार्थना की बात आती है, तो हमें क्या लग सकता है?

 क्या आपके मन में कभी यह सवाल आया है कि पता नहीं यहोवा मेरी प्रार्थनाएँ सुन रहा है या नहीं? अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं जिसे ऐसा लगा हो। बहुत-से भाई-बहनों ने बताया है कि उन्हें भी ऐसा ही लगा, खासकर जब वे किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे थे। अगर हम भी किसी मुसीबत में हैं, तो शायद हमें भी यह समझना मुश्‍किल लगे कि यहोवा किस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है।

2 आइए जानें कि हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने सेवकों की प्रार्थनाएँ सुनता है। (1 यूह. 5:15) इस लेख में हम इन सवालों के जवाब भी जानेंगे: कई बार ऐसा क्यों लग सकता है कि यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुन रहा? यहोवा आज किन तरीकों से हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है?

यहोवा शायद उस तरह जवाब ना दे जैसे हम चाहते हैं

3. यहोवा क्यों चाहता है कि हम उससे प्रार्थना करें?

3 बाइबल से पता चलता है कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और हम उसके लिए बहुत अनमोल हैं। (हाग्गै 2:7; 1 यूह. 4:10) इसलिए वह हमें बढ़ावा देता है कि हम प्रार्थना करके उससे मदद माँगें। (1 पत. 5:6, 7) वह चाहता है कि हमारा उसके साथ एक अच्छा रिश्‍ता बना रहे और हम मुश्‍किलों का डटकर सामना कर पाएँ। इसलिए वह हमारी मदद करने के लिए तैयार रहता है।

यहोवा ने दाविद को दुश्‍मनों से बचाकर उसकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया (पैराग्राफ 4)

4. हम क्यों कह सकते हैं कि यहोवा अपने सेवकों की प्रार्थनाएँ सुनता है? (तसवीर भी देखें।)

4 बाइबल में ऐसे कई किस्से बताए गए हैं जब यहोवा ने अपने वफादार सेवकों की प्रार्थनाएँ सुनीं। क्या आपको कोई ऐसा किस्सा याद आता है? शायद आपके मन में राजा दाविद का खयाल आए। पूरी ज़िंदगी उसका कई दुश्‍मनों से पाला पड़ा जो उसकी जान लेने पर तुले हुए थे। इसलिए वह अकसर यहोवा को मदद के लिए पुकारता था। एक बार उसने यहोवा से बिनती की, “हे यहोवा, मेरी प्रार्थना सुन, मेरी मदद की पुकार सुन। तू विश्‍वासयोग्य और नेक है, इसलिए मुझे जवाब दे।” (भज. 143:1) यहोवा ने दाविद की प्रार्थनाओं का जवाब दिया और उसे दुश्‍मनों से बचाया। (1 शमू. 19:10, 18-20; 2 शमू. 5:17-25) इसलिए दाविद पूरे यकीन से कह पाया, “यहोवा उन सबके करीब रहता है जो उसे पुकारते हैं।” दाविद के जैसा भरोसा हम भी रख सकते हैं।—भज. 145:18.

यहोवा ने पौलुस को धीरज रखने की ताकत देकर उसकी प्रार्थनाएँ सुनीं (पैराग्राफ 5)

5. क्या पुराने ज़माने में यहोवा के सेवकों को हमेशा उनकी प्रार्थनाओं का जवाब उस तरह मिला जैसे उन्होंने सोचा था? एक उदाहरण दीजिए। (तसवीर भी देखें।)

5 यहोवा शायद उस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ना दे, जिस तरह हमने सोचा हो। प्रेषित पौलुस के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। उसे एक समस्या थी जिसे उसने अपने ‘शरीर का काँटा’ कहा। उसने तीन बार यहोवा से बिनती की कि उसके शरीर से यह काँटा निकाल दिया जाए। क्या यहोवा ने उसकी प्रार्थनाओं का जवाब दिया? हाँ, पर उस तरह नहीं, जैसे पौलुस ने सोचा था। यहोवा ने उसकी समस्या दूर नहीं की, पर उसे सहने की ताकत दी ताकि वह वफादारी से उसकी सेवा करता रहे।​—2 कुरिं. 12:7-10.

6. कई बार हमें ऐसा क्यों लग सकता है कि यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुन रहा?

6 हो सकता है, हमने भी जैसे सोचा हो, यहोवा उस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ना दे, बल्कि किसी और तरह से दे। लेकिन हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अच्छी तरह जानता है कि हमारी भलाई किसमें है। बाइबल में लिखा है, “हम उससे जो माँगते हैं या जितना सोच सकते हैं, वह उससे कहीं ज़्यादा बढ़कर कर सकता है।” (इफि. 3:20) इसलिए वह शायद हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ऐसे वक्‍त पर या उस तरह दे जिसके बारे में हमने सोचा भी ना हो।

7. हमें शायद क्यों किसी और बात के लिए प्रार्थना करनी पड़े? एक उदाहरण दीजिए।

7 जब हम और अच्छी तरह समझ जाते हैं कि यहोवा की मरज़ी क्या है, तो हम जिस बात के लिए प्रार्थना कर रहे थे, उसके बजाय शायद हमें किसी और बात के लिए प्रार्थना करनी पड़े। ज़रा भाई मार्टिन पोर्टज़िंगर के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। शादी के कुछ ही समय बाद उन्हें नाज़ी यातना शिविर में डाल दिया गया। शुरू-शुरू में तो भाई यहोवा से यह प्रार्थना करते थे कि उन्हें किसी तरह यातना शिविर से रिहा कर दिया जाए, ताकि वे अपनी पत्नी का खयाल रख सकें और दोबारा प्रचार कर सकें। लेकिन दो हफ्तों बाद भी इसके कोई आसार नज़र नहीं आए। ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे उन्हें लगता कि यहोवा उन्हें रिहा करने के लिए कोई रास्ता निकाल रहा है। इसलिए भाई यह प्रार्थना करने लगे, “यहोवा, प्लीज़ मुझे बताइए कि आपकी क्या मरज़ी है।” फिर भाई मार्टिन दूसरे भाइयों के बारे में सोचने लगे, जिन्हें उन्हीं की तरह शिविर में डाला गया था। कई भाइयों को अपनी पत्नी और बच्चों की चिंता हो रही थी। भाई समझ गए कि यहोवा उनसे क्या चाहता है, इसलिए अब उन्होंने प्रार्थना की, “यहोवा, यह नयी ज़िम्मेदारी देने के लिए आपका बहुत शुक्रिया। मेरी मदद कीजिए कि मैं भाइयों का हौसला बढ़ा सकूँ, उन्हें मज़बूत कर सकूँ।” अगले नौ साल तक भाई यातना शिविरों में ऐसा ही करते रहे।

8. प्रार्थना करते वक्‍त हमें कौन-सी ज़रूरी बात याद रखनी चाहिए?

8 हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा का एक मकसद है और वह उसे अपने तय समय पर पूरा करेगा। वह हमारी सारी समस्याओं को जड़ से ही मिटा देना चाहता है। ऐसा वह अपने राज के ज़रिए करेगा। जब उसका राज आएगा, तो प्राकृतिक विपत्तियाँ, बीमारी और मौत जैसी बड़ी-बड़ी समस्याएँ भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएँगी। और फिर किसी को कोई दुख-तकलीफ नहीं होगी। (दानि. 2:44; प्रका. 21:3, 4) लेकिन जब तक उसका राज नहीं आता, यहोवा ने शैतान को इस दुनिया पर राज करने की छूट दी है। b (यूह. 12:31; प्रका. 12:9) अगर आज यहोवा इंसान की सारी समस्याएँ दूर कर दे, तो ऐसा लग सकता है कि शैतान इस दुनिया पर अच्छी तरह राज कर रहा है। इसलिए हमें कुछ वक्‍त इंतज़ार करना होगा, जब तक यहोवा अपने सारे वादे पूरे नहीं कर देता। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उसने हमें अपने हाल पर छोड़ दिया है। आइए जानें कि यहोवा किन तरीकों से हमारी मदद करता है।

यहोवा आज हमारी प्रार्थनाओं का जवाब कैसे देता है?

9. जब हमें कोई फैसला लेना होता है, तो यहोवा कैसे हमारी मदद करता है? एक उदाहरण दीजिए।

9 यहोवा हमें बुद्धि देता है। उसने वादा किया है कि वह अच्छे फैसले लेने के लिए हमें बुद्धि देगा। हमें खासकर तब यहोवा से बुद्धि चाहिए होती है, जब हमें ज़िंदगी के बड़े-बड़े फैसले लेने होते हैं, जैसे यह फैसला कि हम शादी करेंगे या नहीं। (याकू. 1:5) ज़रा मारिया नाम की एक अविवाहित बहन के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। c वह खुशी-खुशी पायनियर सेवा कर रही थी। फिर उसकी मुलाकात एक भाई से हुई। वह कहती है, “जैसे-जैसे हम एक-दूसरे को जानने लगे, हम एक-दूसरे को पसंद करने लगे। मुझे पता था कि अब मुझे एक फैसला लेना है, इसलिए मैंने यहोवा से बहुत प्रार्थना की। मैं जानती थी कि मैं यहोवा की मदद के बिना सही फैसला नहीं ले पाऊँगी, लेकिन मैं यह भी जानती थी कि यहोवा मेरे लिए कोई फैसला नहीं करेगा। फैसला मुझे खुद ही करना होगा।” उसे लगता है कि यहोवा ने उसकी प्रार्थनाएँ सुनीं और उसे बुद्धि दी। वह कैसे? जब उसने हमारे प्रकाशनों में खोजबीन की, तो उसे ऐसे कई लेख मिले जिनमें इस विषय पर बढ़िया जानकारी दी गयी थी और उसे अपने सारे सवालों के जवाब मिल गए। उसने अपनी मम्मी से भी इस बारे में बात की जो यहोवा की एक साक्षी हैं। उन्होंने उसे अच्छी सलाह दी जिस वजह से उसने भावनाओं में आकर कोई फैसला नहीं लिया। उसने इस बारे में काफी सोचा और आखिर में वह एक अच्छा फैसला ले पायी।

यहोवा हमें कैसे ताकत देता है ताकि हम धीरज रख सकें? (पैराग्राफ 10)

10. फिलिप्पियों 4:13 के मुताबिक यहोवा किस तरह अपने सेवकों की मदद करता है? एक उदाहरण दीजिए। (तसवीर भी देखें।)

10 वह हमें धीरज रखने की ताकत देता है। जैसे यहोवा ने पौलुस को ताकत दी थी, वैसे ही वह आज हमें भी ताकत दे सकता है ताकि हम मुश्‍किलों में धीरज रख पाएँ। (फिलिप्पियों 4:13 पढ़िए।) ज़रा भाई बेन्जमिन के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। गौर कीजिए कि यहोवा ने उन्हें कैसे मुश्‍किलों में धीरज रखने की ताकत दी। भाई और उनके परिवार को काफी सालों तक अफ्रीका के शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा। भाई की करीब-करीब पूरी जवानी उन शिविरों में कट गयी। वे कहते हैं, “मैं यहोवा से प्रार्थना करता रहता था कि वह मुझे ताकत दे ताकि मैं सही काम कर सकूँ और उसे खुश कर सकूँ। और यहोवा ने मेरी प्रार्थनाएँ सुनीं। उसने मुझे मन की शांति दी, प्रचार करते रहने की हिम्मत दी और ऐसे प्रकाशन दिए जिन्हें पढ़कर उसके साथ मेरा रिश्‍ता मज़बूत बना रहा।” भाई का यह भी कहना है, “जब मैंने भाई-बहनों के अनुभव पढ़े और जाना कि यहोवा ने धीरज धरने में कैसे उनकी मदद की, तो यहोवा के वफादार रहने का मेरा इरादा और भी पक्का हो गया।”

क्या यहोवा ने भाई-बहनों के ज़रिए कभी आपकी मदद की है? (पैराग्राफ 11-12) d

11-12. यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए कैसे हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दे सकता है? (तसवीर भी देखें।)

11 यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद करता है। यीशु ने अपना जीवन बलिदान करने से एक रात पहले यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना की। उसने बिनती की कि उस पर यहोवा की निंदा करने का इलज़ाम ना लगाया जाए। यहोवा ने ऐसा कुछ तो नहीं किया कि उस पर यह इलज़ाम ना लगे, लेकिन उसकी हिम्मत बँधाने के लिए यहोवा ने उसके एक भाई को यानी एक स्वर्गदूत को भेजा। (लूका 22:42, 43) आज भी यहोवा भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद कर सकता है। शायद वे हमसे मिलने आएँ या फोन करके हमारा हौसला बढ़ाएँ। इसलिए हम सबको ऐसे मौकों की तलाश में रहना चाहिए जब हम कोई “अच्छी बात” कहकर एक-दूसरे का हौसला बढ़ा सकें।—नीति. 12:25.

12 ज़रा बहन मिरियम के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उनके पति की मौत हुए कुछ ही हफ्ते हुए थे। एक दिन वे अपने घर पर अकेली थीं और बहुत दुखी थीं। रो-रोकर उनका बुरा हाल हो गया था और वे किसी से बात करना चाहती थीं। लेकिन वे बताती हैं, “मुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं थी कि मैं किसी को फोन करूँ। इसलिए मैंने यहोवा से प्रार्थना की। मैं रो-रोकर प्रार्थना कर ही रही थी कि तभी फोन की घंटी बजी। एक प्राचीन का फोन था जो बहुत अच्छे दोस्त थे।” बहन मिरियम को उस प्राचीन और उसकी पत्नी से बहुत दिलासा मिला। उन्हें यकीन है कि यहोवा ने ही उस भाई को फोन करने के लिए उभारा।

यहोवा किस तरह दूसरों लोगों को भी हमारी मदद करने के लिए उभार सकता है? (पैराग्राफ 13-14)

13. एक उदाहरण देकर बताइए कि यहोवा कैसे उन लोगों के ज़रिए हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दे सकता है जो उसकी उपासना नहीं करते।

13 यहोवा उनके ज़रिए भी हमारी मदद कर सकता है, जो उसकी उपासना नहीं करते। (नीति. 21:1) बीते ज़माने में यहोवा ने राजा अर्तक्षत्र को उभारा कि वह नहेमायाह को यरूशलेम जाने की इजाज़त दे, ताकि वह शहर को दोबारा बनाने का काम पूरा कर सके। (नहे. 2:3-6) आज भी जब हम किसी परेशानी में होते हैं, तो यहोवा उन लोगों को हमारी मदद करने के लिए उभार सकता है, जो उसकी उपासना नहीं करते।

14. बहन सू हिंग के अनुभव से आपने क्या सीखा? (तसवीर भी देखें।)

14 बहन सू हिंग ने महसूस किया कि यहोवा ने उनके डॉक्टर के ज़रिए उनकी मदद की। उनके बेटे को कुछ मानसिक बीमारियाँ हैं। एक बार वह काफी ऊँचाई से गिर गया और उसे बहुत चोट आयी। उसकी देखभाल करने के लिए बहन और उनके पति को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी। इस वजह से उन्हें पैसों की दिक्कत होने लगी। बहन को लगा कि अब उनसे और बरदाश्‍त नहीं हो पाएगा। उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे एक रबरबैंड को इतना खींच दिया गया हो कि वह किसी भी पल टूट सकता है। उन्होंने दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना की और उससे मदद माँगी। फिर ऐसा हुआ कि उनके डॉक्टर ने उनकी मदद करने की सोची। इस वजह से बहन और उसके परिवार को सरकार से मदद मिल पायी और कम किराए पर एक घर भी मिल गया। बाद में बहन ने कहा, “हम साफ देख पाए कि इस सबके पीछे यहोवा का ही हाथ था। वह सच में ‘प्रार्थनाओं का सुननेवाला’ है।”—भज. 65:2.

विश्‍वास होने से ही देख पाएँगे कि यहोवा कैसे जवाब देता है

15. एक बहन को कैसे एहसास हुआ कि यहोवा उनकी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है?

15 यहोवा हमेशा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब शानदार तरीके से नहीं देता, पर देता ज़रूर है। वह जानता है कि उसके वफादार रहने के लिए हमें क्या चाहिए और हमें ठीक वही देता है। तो हमेशा इस बात पर ध्यान दीजिए कि यहोवा किस तरह आपकी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है। योको नाम की एक बहन को लगा कि यहोवा उनकी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं दे रहा है। तब उन्होंने एक कॉपी में वे बातें लिखनी शुरू कर दीं जिनके बारे में वे प्रार्थना कर रही थीं। फिर कुछ समय बाद जब उन्होंने अपनी कॉपी देखी, तो उन्हें एहसास हुआ कि यहोवा ने उनकी ज़्यादातर प्रार्थनाओं का जवाब दे दिया है और कुछ ऐसी प्रार्थनाओं का भी जिनके बारे में वे खुद भी भूल गयी थीं। हमें भी समय-समय पर इस बारे में सोचना चाहिए कि यहोवा किस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दे रहा है।—भज. 66:19, 20.

16. प्रार्थना के मामले में हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमें यहोवा पर विश्‍वास है? (इब्रानियों 11:6)

16 हम सिर्फ प्रार्थना करके नहीं दिखाते कि हमें यहोवा पर विश्‍वास है, बल्कि वह हमारी प्रार्थनाओं का जो भी जवाब देता है, उसे कबूल करके भी हम अपना विश्‍वास ज़ाहिर करते हैं। (इब्रानियों 11:6 पढ़िए।) ज़रा भाई माइक और उनकी पत्नी क्रिसी के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। वे दोनों बेथेल में सेवा करना चाहते थे। भाई माइक बताते हैं, “हम दोनों ने कई सालों तक बेथेल सेवा के लिए अर्ज़ी भरी और बार-बार इस बारे में यहोवा से प्रार्थना करते रहे, पर हमें नहीं बुलाया गया।” उन दोनों को पूरा भरोसा था कि यहोवा जानता है कि वे कैसे सबसे अच्छी तरह उसकी सेवा कर सकते हैं। और उनसे जितना हो सकता था, वे करते रहे। उन्होंने ऐसी जगह जाकर पायनियर सेवा की जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी और कई बार संगठन के निर्माण काम में भी हाथ बँटाया। आज वे सर्किट काम कर रहे हैं। भाई का कहना है, “यहोवा ने हमेशा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब उस तरह नहीं दिया जिस तरह हम चाहते थे, पर उसने दिया ज़रूर और वह भी हमारी उम्मीदों से बढ़कर।”

17-18. भजन 86:6, 7 के मुताबिक हम किस बात का यकीन रख सकते हैं?

17 भजन 86:6, 7 पढ़िए। दाविद को पूरा भरोसा था कि यहोवा ने उसकी प्रार्थनाएँ सुनीं और उनका जवाब दिया। दाविद के जैसा भरोसा हम भी रख सकते हैं। इस लेख में हमने जिन लोगों के उदाहरणों पर चर्चा की, उनसे हमें यकीन हो जाता है कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का भी जवाब देगा। वह हमें बुद्धि दे सकता है और मुश्‍किलों का सामना करने की ताकत दे सकता है। शायद वह भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद करे या उनके ज़रिए जो फिलहाल उसकी उपासना नहीं करते।

18 शायद यहोवा हर बार उस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ना दे जैसे हम चाहते हैं, पर वह जवाब देगा ज़रूर। वह जानता है कि हमें कब किस चीज़ की ज़रूरत है और वह हमें वही देगा। तो यहोवा से प्रार्थना करते रहिए और विश्‍वास रखिए कि आज वह आपका खयाल रखेगा और नयी दुनिया में “हरेक जीव की इच्छा पूरी” करेगा।—भज. 145:16.

गीत 46 तेरा एहसान मानते यहोवा

a यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि अगर हमारी प्रार्थनाएँ उसकी मरज़ी के मुताबिक हों, तो वह उन्हें ज़रूर सुनेगा। खासकर जब हम किसी मुश्‍किल से गुज़रते हैं, तो हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा के वफादार रहने के लिए हमें जो चाहिए वह हमें ज़रूर देगा। आइए जानें कि यहोवा किस तरह हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है।

b यहोवा ने शैतान को इस दुनिया पर राज करने की छूट क्यों दी है, इस बारे में और जानने के लिए जून 2017 की प्रहरीदुर्ग  में दिया लेख, “अहम मसले को हमेशा याद रखिए” पढ़ें।

c इस लेख में कुछ लोगों के नाम उनके असली नाम नहीं हैं।

d तसवीर के बारे में: एक माँ अपनी बेटी के साथ एक देश में शरणार्थी के तौर पर आयी है। वहाँ के भाई-बहन प्यार से उनका स्वागत कर रहे हैं। उन्होंने उनकी ज़रूरतें पूरी करने के लिए इंतज़ाम भी किए हैं।