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अध्याय सात

मौत की नींद सो रहे आपके अपनों के लिए सच्ची आशा

मौत की नींद सो रहे आपके अपनों के लिए सच्ची आशा
  • हमारे पास क्या सबूत है कि मरे हुए ज़रूर जी उठेंगे?

  • मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा करने के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है?

  • किन लोगों का पुनरुत्थान होगा?

1-3. वह दुश्मन कौन है जो हम सबका पीछा कर रहा है, और बाइबल जो सिखाती है उसे जानने से हमें क्यों राहत मिलती है?

मान लीजिए आप एक खूँखार दुश्मन से अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं। वह आपसे भी बलवान है और तेज़ रफ्तार से दौड़ता है। आप जानते हैं कि वह बेरहम किसी को नहीं बख्शता, क्योंकि उसने आपकी आँखों के सामने आपके कई दोस्तों को जान से मार डाला है। आप पूरा दम लगाकर भाग रहे हैं, फिर भी वह कातिल आपके नज़दीक आता जा रहा है। अब बचने का कोई रास्ता नहीं। तभी अचानक एक मददगार आ खड़ा होता है। वह आपके दुश्मन से कहीं ज़्यादा ताकतवर है। और वह आपसे कहता है, ‘डरो मत, मैं तुम्हें बचाऊँगा।’ आह, यह सुनकर आप क्या ही राहत महसूस करेंगे!

2 देखा जाए तो आज एक ऐसा ही दुश्मन सचमुच आपका पीछा कर रहा है। दरअसल वह हम सबका पीछा कर रहा है। जैसे हमने पिछले अध्याय में सीखा था, बाइबल मौत को एक दुश्मन बताती है। यही वह दुश्मन है जो आज हम सबके पीछे पड़ा है। कोई इससे बच नहीं सकता, ना ही इससे लड़ सकता है। हममें से कितने ही ऐसे हैं जिनकी आँखों के सामने इस दुश्मन ने उनके अज़ीज़ों की जानें ली हैं। मगर घबराइए मत, यहोवा परमेश्वर मौत से ज़्यादा ताकतवर है। वही हमारा मददगार है जो हमें मौत से बचाएगा। वह हमसे बेहद प्यार करता है और वह पहले ही साबित कर चुका है कि वह इस दुश्मन को हरा सकता है। इतना ही नहीं, उसने वादा किया है कि वह इस दुश्मन का हमेशा-हमेशा के लिए नामो-निशान मिटा देगा। बाइबल सिखाती है: “सब से अन्तिम बैरी जो नाश किया जाएगा वह मृत्यु है।” (1 कुरिन्थियों 15:26) है ना यह एक खुशखबरी?

3 आइए पहले देखें कि दुश्मन मौत, इंसान पर कैसा कहर ढाती है। इससे हम यहोवा के उस वादे को और अच्छी तरह समझ पाएँगे जिसके बारे में जानकर हमें खुशी मिलती है। वह वादा क्या है? यही कि जो मर गए हैं, वे दोबारा जीएँगे। (यशायाह 26:19) इसका मतलब है कि उन्हें एक बार फिर ज़िंदा किया जाएगा। इस आशा को पुनरुत्थान की आशा कहते हैं।

जब आपका कोई अपना मर जाए

4. (क) यीशु ने किसी अपने की मौत के गम पर जो महसूस किया, उससे हम यहोवा की भावनाएँ क्यों समझ सकते हैं? (ख) यीशु को किन से गहरा लगाव हो गया था?

4 क्या आपके किसी अपने की मौत हुई है? ऐसे में हम खुद को बिलकुल बेबस और लाचार महसूस करते हैं। वह दर्द और सदमा सहने के बाहर होता है। ऐसे नाज़ुक वक्‍त पर तसल्ली पाने के लिए हमें परमेश्वर के वचन का सहारा लेना चाहिए। (2 कुरिन्थियों 1:3, 4) बाइबल यह समझने में हमारी मदद करती है कि यहोवा और यीशु मौत के बारे में कैसा महसूस करते हैं। यीशु खुद जानता है कि किसी अपने की मौत का गम क्या होता है, क्योंकि धरती पर रहते वक्‍त वह इन सदमों से गुज़रा था। यीशु हर बात में हू-ब-हू अपने पिता जैसा था, इसलिए हम समझ सकते हैं कि यहोवा किसी की मौत पर कैसा महसूस करता है। (यूहन्ना 14:9) आइए यीशु की ज़िंदगी के एक किस्से पर गौर करें। वह जब भी यरूशलेम जाता तो वह पासवाले नगर बेतनिय्याह में अपने दोस्त लाजर के घर ज़रूर जाता था। लाजर और उसकी बहनें, मार्था और मरियम से यीशु को गहरा लगाव हो गया था। बाइबल कहती है: “यीशु मरथा और उस की बहन और लाजर से प्रेम रखता था।” (यूहन्ना 11:5) मगर जैसे हमने पिछले अध्याय में पढ़ा, लाजर की मौत हो जाती है।

5, 6. (क) जब यीशु, लाजर के घरवालों और दोस्तों से मिला तो उसे कैसा लगा? (ख) यीशु का दुःखी होना हमें किस बात का यकीन दिलाता है?

5 जब यीशु को अपने प्यारे दोस्त के मरने की खबर मिली तो उसे कैसा लगा? बाइबल बताती है कि यीशु, लाजर के रिश्तेदारों और दोस्तों के दुःख में शरीक हुआ जो उसकी मौत का मातम मना रहे थे। उन्हें देखकर यीशु का दिल भर आया। और वह “आत्मा में अत्यन्त व्याकुल और दुखी हुआ।” बाइबल आगे कहती है कि “यीशु रो पड़ा।” (यूहन्ना 11:33, 35, NHT) क्या यीशु इसलिए रोया कि अब वह फिर कभी लाजर को नहीं देख पाएगा? जी नहीं। असल में उसे मालूम था कि थोड़ी देर में वह चमत्कार करके लाजर को ज़िंदा करनेवाला है। (यूहन्ना 11:3, 4) मगर वह इसलिए रोया, क्योंकि उसने वह दर्द और तड़प महसूस की जो किसी अपने को खोने से होती है।

6 यीशु का इस तरह दुःखी होना हमें एक बात का यकीन दिलाता है। वह यह कि यीशु और उसके पिता यहोवा को मौत से नफरत है। यहोवा परमेश्वर मौत से सिर्फ नफरत ही नहीं करता, बल्कि उससे लड़ने और उस पर जीत हासिल करने की ताकत रखता है! आइए देखें कि उसने अपने बेटे, यीशु को क्या करने की सामर्थ दी।

“हे लाजर, निकल आ”

7, 8. इंसानी नज़रिए से देखें तो लाजर के मामले में क्यों कोई उम्मीद नहीं बची थी, मगर यीशु ने क्या किया?

7 लाजर को एक गुफा में दफनाया गया था और उस गुफा का मुँह एक बड़ी चट्टान से बंद किया गया था। यीशु ने लोगों से कहा कि वे उस चट्टान को हटाएँ। इस पर मार्था ने फौरन एतराज़ किया, क्योंकि लाजर को मरे चार दिन हो गए थे और मार्था को लगा कि अब तक तो लाश सड़ने लगी होगी। (यूहन्ना 11:39) वाकई, इंसानी नज़रिए से देखें तो कोई उम्मीद नहीं बची थी।

लाजर के जी उठने से उसके दोस्तों-रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गयी।यूहन्ना 11:38-44

8 फिर भी, यीशु के कहने पर गुफा से पत्थर हटाया गया। इसके बाद, यीशु ने ज़ोर से पुकारकर कहा: “हे लाजर, निकल आ।” तब क्या हुआ? “जो मर गया था, वह . . . निकल आया।” (यूहन्ना 11:43, 44) ज़रा सोचिए, वहाँ मौजूद लोग खुशी के मारे कैसे उछल पड़े होंगे! उसकी बहनें, उसके रिश्तेदार, दोस्त और आस-पड़ोस के लोग, सब जानते थे कि लाजर मर चुका है। मगर अब उनके सामने वही लाजर जीता-जागता खड़ा था। जी हाँ, उनका प्यारा लाजर! उन्हें अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ होगा। बहुतों ने खुशी के मारे लाजर को गले लगाया होगा। वाकई, यह मौत पर क्या ही शानदार जीत थी!

एलिय्याह ने एक विधवा के बेटे को दोबारा ज़िंदा किया।1 राजा 17:17-24

9, 10. (क) यीशु ने कैसे दिखाया कि उसने लाजर को अपने बलबूते पर ज़िंदा नहीं किया था? (ख) बाइबल में दर्ज़ पुनरुत्थान के किस्से पढ़ने से हमें क्या फायदे हो सकते हैं?

9 यीशु ने यह दावा नहीं किया कि उसने यह चमत्कार अपने बलबूते पर किया है। इसके बजाय, लाजर को पुकारने से पहले उसने यहोवा से एक प्रार्थना की और इस तरह उसने दिखाया कि उसे मरे हुओं को ज़िंदा करने की सामर्थ यहोवा ने दी है। (यूहन्ना 11:41, 42) यह पहली बार नहीं था जब यहोवा ने किसी मरे हुए को ज़िंदा करने के लिए अपनी शक्ति इस्तेमाल की हो। लाजर के किस्से के अलावा बाइबल में पुनरुत्थान के आठ और किस्से पाए जाते हैं। * इन किस्सों को पढ़ना और इनका अध्ययन करना हमें बहुत खुशी देता है। उनसे हम यह सीखते हैं कि परमेश्वर भेदभाव नहीं करता, बल्कि उसकी नज़र में सब बराबर हैं। इसीलिए उसने हर तरह के लोगों का पुनरुत्थान किया, चाहे वे बूढ़े थे या जवान, स्त्री या पुरुष और इस्राएली या गैर-इस्राएली। और इन किस्सों में बयान की गयी खुशी क्या ही ज़बरदस्त थी! मिसाल के लिए, जब एक छोटी लड़की मर गयी और यीशु ने उसे ज़िंदा किया, तो उस बच्ची के माता-पिता “परम-सुख से सराबोर हो गए।” (मरकुस 5:42, NW) वाकई, यहोवा ने उन्हें ऐसी खुशी दी जिसे वे ज़िंदगी-भर नहीं भूल सकते थे।

प्रेरित पतरस ने दोरकास नाम की एक मसीही स्त्री को जिलाया।प्रेरितों 9:36-42

10 यीशु ने जिन लोगों को ज़िंदा किया था, उन्हें आखिरकार एक दिन मरना पड़ा। तो क्या उन्हें ज़िंदा करना बेकार था? बिलकुल नहीं। उनके पुनरुत्थान के बारे में पढ़ने से हमें बहुत फायदा हो सकता है। ये किस्से बाइबल में दी गयी अहम सच्चाइयों पर हमारा भरोसा बढ़ाते हैं और हमें आशा देते हैं कि आनेवाले वक्‍त में मरे हुए ज़रूर ज़िंदा किए जाएँगे।

पुनरुत्थान के किस्सों से हम क्या सीखते हैं

11. लाजर के जी उठने का किस्सा सभोपदेशक 9:5 में बतायी सच्चाई को कैसे साबित करता है?

11 बाइबल सिखाती है कि “मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” वे ज़िंदा नहीं हैं, और न ही उनका कहीं कोई अस्तित्त्व है। लाजर का किस्सा इस बात को साबित करता है। याद कीजिए, क्या लाजर ने ज़िंदा होने के बाद लोगों को यह बताया कि वह स्वर्ग गया था और वहाँ की लाजवाब खूबसूरती देखकर कैसे दंग रह गया? या क्या उसने नरक की आग और वहाँ की ऐसी भयानक बातें बतायीं जिन्हें सुनकर लोगों में तहलका मच गया? नहीं। बाइबल में यह नहीं लिखा है कि लाजर ने ऐसा कुछ भी कहा था। जिन चार दिनों के दौरान वह मरा हुआ था, उसे “किसी भी बात की चेतना नहीं” थी। (सभोपदेशक 9:5, NW) वह बस मौत की आगोश में सो रहा था।यूहन्ना 11:11.

12. हम क्यों पूरा यकीन रख सकते हैं कि लाजर सचमुच जी उठा था?

12 लाजर के किस्से से हम यह भी सीखते हैं कि पुनरुत्थान एक हकीकत है, कोई कोरी कल्पना नहीं। जब यीशु ने लाजर को ज़िंदा किया तो कई लोगों ने अपनी आँखों से यह देखा था। यहाँ तक कि यीशु से नफरत करनेवाले धर्म-गुरु भी इस चमत्कार को झुठला नहीं सके। इसके बजाय, उन्होंने यह कहा, “हम करते क्या हैं? यह मनुष्य [यीशु] तो बहुत चिन्ह दिखाता है।” (यूहन्ना 11:47) जब लाजर के जी उठने की खबर फैली तो भीड़-की-भीड़ उसे देखने के लिए उमड़ आयी। अपनी आँखों से लाजर को ज़िंदा देखकर बहुतों ने यीशु पर विश्वास किया। लाजर इस बात का जीता-जागता सबूत था कि यीशु को वाकई परमेश्वर ने भेजा है। यह सबूत इतना ज़बरदस्त था कि इसे मिटाने के लिए ज़ालिम धर्म-गुरुओं ने यीशु के साथ-साथ लाजर को भी मार डालने की साज़िश रची।यूहन्ना 11:53; 12:9-11.

13. हम कैसे कह सकते हैं कि यहोवा मरे हुओं को ज़रूर ज़िंदा कर सकता है?

13 जो मर गए हैं क्या उनका पुनरुत्थान होना नामुमकिन है? क्या इसे हकीकत मानना बेबुनियाद है? हरगिज़ नहीं! क्योंकि यीशु ने लोगों को बताया था कि एक दिन ऐसा आएगा जब वे सब ज़िंदा किए जाएँगे जो “स्मारक कब्रों में हैं।” (यूहन्ना 5:28, NW) यहोवा ने जीवन की रचना की है, वही सबका जन्मदाता है। इसलिए जो मर गए हैं, उन्हें दोबारा जीवन देना उसके लिए कोई बड़ी बात नहीं है। मगर हाँ, उन्हें दोबारा जीवन देने के लिए यह ज़रूरी है कि परमेश्वर उन्हें याद रखे। अब सवाल यह है कि क्या वह हमारे उन सभी अज़ीज़ों को याद रख सकता है, जो मर गए हैं? बेशक याद रख सकता है! ज़रा इस बात पर गौर कीजिए। अंतरिक्ष में अरबों-खरबों तारे हैं। मगर यहोवा परमेश्वर उनमें से हरेक को उसके नाम से जानता है! (यशायाह 40:26) बिलकुल उसी तरह वह हमारे अज़ीज़ों को, यहाँ तक कि उनके बारे में छोटी-से-छोटी बात को भी याद रख सकता है। यही नहीं, उसके पास किसी को भी ज़िंदा करने की काबिलीयत है और वह बहुत जल्द ऐसा करेगा।

14, 15. अय्यूब ने जो कहा उसके मुताबिक, यहोवा मरे हुओं को ज़िंदा करने के बारे में कैसा महसूस करता है?

14 अब आइए देखें कि मरे हुओं को ज़िंदा करने के बारे में यहोवा कैसा महसूस करता है। बाइबल सिखाती है कि यहोवा उन्हें ज़िंदा करने के लिए बेसब्र है। परमेश्वर के वफादार सेवक अय्यूब ने कहा था: “यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा?” यहाँ अय्यूब यह कह रहा था कि मरने पर उसे कब्र में दफना दिया जाएगा और परमेश्वर अपने ठहराए समय पर उसे दोबारा ज़िंदा करेगा। अय्यूब ने आगे यहोवा से कहा: “तू मुझे पुकारेगा, और मैं खुद तुझे जवाब दूँगा। क्योंकि अपने हाथ के काम के लिए तू तरसेगा।”(NW)अय्यूब 14:13-15.

15 ज़रा सोचिए! जो मर गए हैं उन लोगों को ज़िंदा करने के लिए यहोवा तरस रहा है! क्या यह बात हमारे दिल को नहीं छू जाती कि यहोवा खुद मरे हुओं को ज़िंदा करने के लिए बेताब है? अब आइए देखें कि आनेवाले वक्‍त में किन लोगों का पुनरुत्थान होगा और वे कहाँ जी उठेंगे।

“जितने स्मारक कब्रों में हैं”

16. जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा तब धरती पर कैसा माहौल होगा?

16 बाइबल में दिए पुनरुत्थानों के किस्से, भविष्य में होनेवाले पुनरुत्थान के बारे में हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। गुज़रे वक्‍त में जब लोग दोबारा ज़िंदा हुए, तो वे एक बार फिर अपने परिवारवालों के साथ मिल सके। उसी तरह, आनेवाले वक्‍त में जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा, तो वे भी अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिल सकेंगे। मगर उस वक्‍त हालात कहीं बेहतर और बढ़िया होंगे। क्योंकि जैसे हमने अध्याय 3 में सीखा था, परमेश्वर का यह मकसद है कि यह धरती एक फिरदौस बने। इसलिए मरे हुओं को फिर से इसी बुरी दुनिया में जीने के लिए ज़िंदा नहीं किया जाएगा, जो लड़ाई-झगड़ों, जुर्म और बीमारियों से भरी हुई है। इसके बजाय, उन्हें ऐसे माहौल में ज़िंदा किया जाएगा जब दुनिया में हर कहीं शांति और खुशियों का आलम होगा। उन्हें हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका भी दिया जाएगा।

17. पुनरुत्थान किस पैमाने पर होगा?

17 लेकिन किन लोगों का पुनरुत्थान किया जाएगा? यीशु ने कहा था कि “जितने स्मारक कब्रों में हैं वे सब उसकी [यीशु की] आवाज़ सुनकर बाहर निकलेंगे।” (यूहन्ना 5:28, 29, NW) उसी तरह, प्रकाशितवाक्य 20:13 कहता है: “मृत्यु और अधोलोक ने उन मरे हुओं को जो उन में थे दे दिया।” (प्रकाशितवाक्य 20:13) “अधोलोक” का मतलब है कब्र, जहाँ सभी इंसान मरने के बाद जाते हैं। (“शीओल और हेडिज़ क्या हैं?” नाम का अतिरिक्त लेख देखिए।) यह कब्र खाली कर दी जाएगी। आज वहाँ जो अरबों लोग मौत की नींद सो रहे हैं, उन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाएगा, यानी पुनरुत्थान बहुत बड़े पैमाने पर होगा। लेकिन प्रेरित पौलुस ने कहा था: “धर्मी और अधर्मी दोनों का जी उठना होगा।” (प्रेरितों 24:15) इसका मतलब क्या है?

फिरदौस में मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा और वे अपने अज़ीज़ों से दोबारा मिलेंगे

18. वे “धर्मी” लोग कौन हैं जो जी उठेंगे, और खुद आप पर पुनरुत्थान की इस आशा का क्या असर हुआ है?

18 “धर्मी” लोगों में परमेश्वर के ऐसे कई वफादार सेवक शामिल हैं, जिनके बारे में हम बाइबल में पढ़ते हैं और जो यीशु के धरती पर आने से पहले ज़िंदा थे। आपके मन में शायद नूह, इब्राहीम, सारा, मूसा, रूत, एस्तेर और दूसरे कई लोग आएँ। इब्रानियों की किताब के 11वें अध्याय में ऐसे ही चंद स्त्री-पुरुषों के बारे में चर्चा की गयी है, जिनका परमेश्वर पर अटूट विश्वास था। लेकिन इन “धर्मी” लोगों में यहोवा के वे सेवक भी होंगे, जो आज हमारे ज़माने में मौत की नींद सो गए हैं। इसलिए पुनरुत्थान की आशा के लिए हमें यहोवा का कितना शुक्रगुज़ार होना चाहिए, क्योंकि यह आशा हमें मौत के डर से आज़ाद करती है।इब्रानियों 2:15.

19. “अधर्मी” लोग कौन हैं, और यहोवा उन्हें क्या मौका देगा?

19 मगर उन अरबों लोगों के बारे में क्या जिन्हें जीते-जी यहोवा को जानने और उसकी सेवा करने का कभी मौका नहीं मिला? परमेश्वर उन्हें भी नहीं भूलेगा। वे “अधर्मी” लोगों में गिने जाते हैं और उन्हें भी ज़िंदा किया जाएगा। फिर उन्हें सच्चे परमेश्वर के बारे में सीखने और वफादार लोगों के साथ मिलकर उसकी सेवा करने का मौका दिया जाएगा। वह बहुत शानदार समय होगा। यह सब हज़ार साल के उस दौर में होगा जिसे बाइबल न्याय का दिन कहती है। *

20. गेहन्ना क्या है, और वहाँ कैसे लोग जाते हैं?

20 तो क्या इसका यह मतलब है कि आज तक जितने भी लोग मरे हैं, उन सभी को ज़िंदा किया जाएगा? जी नहीं। बाइबल कहती है कि मरे हुओं में से कुछ लोग “गेहन्ना” में हैं। शब्द “गेहन्ना” हमेशा के लिए होनेवाले विनाश को दर्शाता है। हिंदी बाइबल में इसे “नरक” अनुवाद किया गया है। (लूका 12:5) शब्द “गेहन्ना” प्राचीन यरूशलेम के बाहर कूड़ा फेंकने की एक जगह के नाम से निकला है। वहाँ कूड़े-करकट और लाशों को जलाया जाता था। वहाँ सिर्फ ऐसे लोगों की लाशें फेंकी जाती थीं, जिन्हें यहूदी लोग दफनाए जाने और दोबारा जी उठने के लायक नहीं समझते थे। इसलिए बाइबल के मुताबिक “गेहन्ना” वह जगह है जहाँ जानेवालों का हमेशा के लिए विनाश हो जाता है और जिनका पुनरुत्थान नहीं होगा। हालाँकि ज़िंदा और मरे हुओं का न्याय करने का काम यीशु को सौंपा गया है, मगर इस मामले में आखिरी फैसला सुनानेवाला यहोवा है। (प्रेरितों 10:42) यहोवा ऐसे लोगों का पुनरुत्थान हरगिज़ नहीं करेगा जो उसके न्याय के मुताबिक दुष्ट हैं और खुद को बदलने को तैयार नहीं।

स्वर्ग में जीने के लिए पुनरुत्थान

21, 22. (क) और किस तरह का पुनरुत्थान होगा? (ख) पुनरुत्थान पाकर आत्मिक प्राणी बननेवालों में कौन पहला था?

21 बाइबल एक और तरह के पुनरुत्थान के बारे में बताती है, जिसे ‘पहिला पुनरुत्थान’ कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 20:6) इसमें मरे हुओं को आत्मिक प्राणी के तौर पर ज़िंदा किया जाएगा ताकि वे स्वर्ग में जीएँ। इस पुनरुत्थान की सिर्फ एक मिसाल बाइबल में दर्ज़ है। वह है, यीशु मसीह का पुनरुत्थान।

22 जब यीशु को मार डाला गया तो यहोवा ने उसे कब्र में ही नहीं छोड़ दिया। उसने अपने इस वफादार बेटे को दोबारा ज़िंदा किया। (भजन 16:10; प्रेरितों 13:34, 35) मगर उसे दोबारा एक इंसान की ज़िंदगी देकर नहीं जिलाया गया। तो फिर कैसी ज़िंदगी देकर? प्रेरित पतरस बताता है कि मसीह को “शरीर के भाव से तो घात किया गया, पर आत्मा के भाव से जिलाया गया।” (1 पतरस 3:18) जी हाँ, यीशु दोबारा एक शक्तिशाली आत्मिक प्राणी बनकर ज़िंदा हुआ! (1 कुरिन्थियों 15:3-6) वाकई यह कितना बड़ा करिश्मा था! इस तरह का अनोखा पुनरुत्थान पानेवालों में यीशु सबसे पहला था। (यूहन्ना 3:13) मगर उसके बाद और भी लोगों को ऐसा पुनरुत्थान मिलनेवाला था।

23, 24. यीशु के “छोटे झुण्ड” में कौन हैं, और उनकी गिनती कितनी है?

23 यीशु ने अपनी मौत से कुछ ही समय पहले अपने वफादार चेलों से कहा कि वह स्वर्ग लौटेगा और वहाँ उनके लिए “जगह तैयार” करेगा। (यूहन्ना 14:2) यह दिखाता है कि यीशु के अलावा कुछ वफादार मसीही भी स्वर्ग जाएँगे। यीशु ने इन लोगों के समूह को ‘छोटा झुण्ड’ कहा। (लूका 12:32) इस छोटे झुंड में कितने मसीही होते? प्रकाशितवाक्य 14:1 में प्रेरित यूहन्ना बताता है: “मैं ने दृष्टि की, और देखो, वह मेम्ना [यीशु मसीह] सिय्योन पहाड़ पर खड़ा है, और उसके साथ एक लाख चौआलीस हजार जन हैं, जिन के माथे पर उसका और उसके पिता का नाम लिखा हुआ है।”

24 स्वर्ग जानेवाले इन 1,44,000 जनों में यीशु के वफादार प्रेरित भी हैं। इन सबका पुनरुत्थान कब शुरू हुआ? प्रेरित पौलुस ने लिखा कि यह पुनरुत्थान मसीह की उपस्थिति के दौरान शुरू होगा। (1 कुरिन्थियों 15:23) जैसे आप अध्याय 9 में सीखेंगे, आज हम उसकी उपस्थिति के समय में ही जी रहे हैं। इसका मतलब, यह पुनरुत्थान शुरू हो चुका है। आज 1,44,000 में से सिर्फ चंद लोग ही धरती पर बचे हैं। जब इनमें से किसी की मौत होती है, तो उसे फौरन जिलाकर स्वर्ग में जीवन दिया जाता है। (1 कुरिन्थियों 15:51-55) मगर मरे हुओं में से ज़्यादातर इंसानों को भविष्य में धरती पर फिरदौस में जीवन पाने की आशा है।

25. अगले अध्याय में हम किस बारे में ज़्यादा सीखेंगे?

25 जी हाँ, इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा हमारे दुश्मन, मौत को हरा देगा और हमेशा के लिए उसका नामो-निशान मिटा देगा! (यशायाह 25:8) मगर आप शायद सोचें, ‘स्वर्ग जानेवाले वहाँ क्या करेंगे?’ वे एक शानदार स्वर्गीय राज्य या सरकार में हुकूमत करेंगे। इस सरकार के बारे में हम अगले अध्याय में ज़्यादा सीखेंगे।

^ पैरा. 9 पुनरुत्थान के दूसरे किस्से इन आयतों में दिए गए हैं: 1 राजा 17:17-24; 2 राजा 4:32-37; 13:20, 21; मत्ती 28:5-7; लूका 7:11-17; 8:40-56; प्रेरितों 9:36-42; और 20:7-12.

^ पैरा. 19 न्याय का दिन क्या है और लोगों का न्याय किस बिना पर किया जाएगा, इस बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए “न्याय का दिन—क्या है?” नाम का अतिरिक्त लेख देखिए।