भाग 2
उन्होंने अपना घर गँवा दिया
एक दुष्ट स्वर्गदूत ने आदम और हव्वा को परमेश्वर की हुकूमत ठुकराने के लिए बहकाया। नतीजा, इंसान पापी बन गया और मरने लगा
परमेश्वर ने इंसान को रचने से हज़ारों साल पहले, स्वर्ग में कई आत्मिक प्राणी यानी स्वर्गदूत बनाए। उनमें से एक स्वर्गदूत परमेश्वर के खिलाफ हो गया। वह आगे चलकर शैतान और इब्लीस कहलाया। शैतान ने बड़ी चालाकी से हव्वा को उस पेड़ का फल खाने के लिए बहकाया, जिसे परमेश्वर ने खाने से मना किया था। उसने यह कैसे किया?
शैतान ने एक साँप के ज़रिए हव्वा से बात की। यह बिलकुल वैसा था जैसे एक पेटबोला अपने होंठ हिलाए बिना इस तरह आवाज़ निकालता है, मानो पास रखा एक पुतला बोल रहा हो। शैतान ने हव्वा से कहा कि अगर वह और उसका पति मना किया गया फल खाएँगे, तो वे नहीं मरेंगे। यह कहकर शैतान ने परमेश्वर पर झूठ बोलने का इलज़ाम लगाया। उसने दिखाना चाहा कि परमेश्वर एक कठोर पिता है, जो अपने बच्चों को अच्छी चीज़ें नहीं देता। यही नहीं, उस धोखेबाज़ ने हव्वा को यकीन दिलाने की कोशिश की कि परमेश्वर की आज्ञा तोड़ने से उसे फायदा होगा। उसे खास किस्म का ज्ञान हासिल होगा और वह अच्छे-बुरे का फैसला खुद कर पाएगी। लेकिन यह सफेद झूठ था, पूरे इतिहास में बोला गया सबसे पहला झूठ! इस साज़िश के पीछे शैतान का इरादा था, यहोवा के हुकूमत करने के अधिकार पर सवाल खड़ा करना। उसने दावा किया कि परमेश्वर का राज करने का तरीका सही नहीं है और ना ही वह इंसानों की भलाई चाहता है।
हव्वा ने शैतान के झूठ को सच मान लिया और फल खाने के लिए उसका मन ललचाने लगा। आखिरकार, उसने वह फल तोड़कर खा लिया। बाद में, उसने अपने पति आदम को भी फल दिया और उसने भी खाया। परमेश्वर की आज्ञा तोड़कर वे दोनों पापी बन गए। शायद फल खाना अपने आपमें मामूली बात लगे, लेकिन असल में ऐसा करना परमेश्वर के खिलाफ बगावत करना था। सृष्टिकर्ता ने आदम और हव्वा को सिद्ध जीवन के साथ-साथ और भी बहुत कुछ दिया था। मगर वे उसका एहसान भूल गए! उन्होंने जानबूझकर परमेश्वर की आज्ञा तोड़ी। इस तरह उन्होंने दिखाया कि वे परमेश्वर के अधीन नहीं रहना चाहते।
वंश “तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।”—उत्पत्ति 3:15
परमेश्वर ने बागियों को कड़ी सज़ा सुनायी। उसने एक भविष्यवाणी के ज़रिए बताया कि एक वंश या छुड़ानेवाला आएगा, जो शैतान को खत्म कर देगा। शैतान को बाइबल की कुछ आयतों में साँप कहा गया है। आदम और हव्वा को भी मौत की सज़ा सुनायी गयी। मगर परमेश्वर ने उन्हें उसी वक्त नहीं मारा, बल्कि उनकी आनेवाली संतानों पर दया करते हुए उन्हें कुछ समय जीने की मोहलत दी। परमेश्वर ने आदम की संतानों को एक आशा दी। उसने बताया कि जो वंश शैतान को खत्म करेगा, वही अदन में छिड़ी बगावत से हुए सारे बुरे अंजामों को मिटा देगा। परमेश्वर का भेजा गया यह वंश या छुड़ानेवाला कौन होता? वह कैसे उसके मकसद को पूरा करता? जैसे-जैसे बाइबल लिखी गयी, इन सवालों की गुत्थी सुलझती गयी।
परमेश्वर ने आदम और हव्वा को अदन के बाग से बाहर निकाल दिया। दो वक्त की रोटी के लिए उन्हें खून-पसीना एक करना पड़ा। क्योंकि अदन के बाहर की ज़मीन एकदम बंजर थी। फिर हव्वा गर्भवती हुई और उसने अपने पहले बेटे कैन को जन्म दिया। आदम और हव्वा के और भी बच्चे हुए, जैसे हाबिल और शेत। आगे चलकर शेत, नूह का पूर्वज बना।
—यह भाग उत्पत्ति, अध्याय 3 से 5; प्रकाशितवाक्य 12:9 पर आधारित है।