मरे हुओं के लिए एक पक्की आशा
पच्चीस साल की एक स्त्री ने लिखा: “सन् 1981 में मेरी माँ कैंसर से मर गयी। मैं उसकी सगी बेटी नहीं थी बल्कि उसने मुझे गोद लिया था। उसकी मौत पर मुझे और मेरे दत्तक भाई को गहरा सदमा पहुँचा। उस वक्त मैं 17 साल की थी और मेरा भाई 11 साल का। मुझे अपनी माँ की बहुत याद सताती थी। मुझे सिखाया गया था कि अब वह स्वर्ग में है, इसलिए मैं भी अपनी जान देकर उसके पास जाना चाहती थी। वह मेरी सबसे अच्छी दोस्त जो थी।”
यह कैसी नाइंसाफी लगती है कि मौत आपको अपने अज़ीज़ से जुदा कर दे और आप देखते रहें। जब आपका कोई अपना मर जाता है, तो इस हकीकत को कबूल करना कितना मुश्किल लगता है कि अब आप कभी उससे बात नहीं कर सकेंगे, उसके साथ हँस नहीं सकेंगे, उसे गले नहीं लगा सकेंगे। और ज़रूरी नहीं कि यह सुनकर आपका गम दूर हो जाए कि आपका अज़ीज़ अब स्वर्ग में है।
मगर बाइबल मरे हुओं के लिए एक बिलकुल ही अलग आशा देती है। जैसा कि हमने पहले भी देखा, बाइबल बताती है कि जल्द ही भविष्य में आप अपने उन अज़ीज़ों से दोबारा मिल सकेंगे जो आज मौत की नींद सो रहे हैं। और आप उनसे किसी अनजान स्वर्गलोक में नहीं बल्कि इसी धरती पर मिल सकेंगे, जहाँ चारों तरफ शांति और धार्मिकता का माहौल होगा। उस वक्त सभी इंसान पूरी तरह स्वस्थ होंगे और उन्हें फिर कभी मरना नहीं पड़ेगा। लेकिन कुछ लोग कह सकते हैं: ‘मगर यह तो बस एक सपना है!’
लेकिन इस बात पर विश्वास करने के लिए आपको क्या जानने की ज़रूरत है? किसी भी वादे पर भरोसा करने के लिए सबसे पहले यह ठीक-ठीक जानने की ज़रूरत है कि जिसने भी वादा किया है क्या वह अपने वादे को पूरा करने की ना सिर्फ इच्छा रखता बल्कि ताकत भी रखता है? तो आइए जानें कि यह वादा किसने किया है कि मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा।
सामान्य युग 31 के वसंत में, यीशु मसीह ने सबके सामने यह वादा किया: “जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसे ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है और जिलाता है। इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका [यीशु का] शब्द सुनकर निकलेंगे।” (यूहन्ना 5:21, 28, 29) जी हाँ, यह वादा यीशु मसीह ने किया है कि आज लाखों लोग जो मौत की नींद सो रहे हैं, उन्हें इसी धरती पर दोबारा जिलाया जाएगा और वे फिरदौस में शांति के माहौल में हमेशा-हमेशा तक रह सकेंगे। (लूका 23:43; यूहन्ना 3:16; 17:3. भजन 37:29 और मत्ती 5:5 से तुलना कीजिए।) यह वादा यीशु ने किया था, इसलिए हम पूरे यकीन के साथ कह सकते हैं कि वह उसे पूरा करने की इच्छा रखता है। मगर सवाल यह है कि क्या उसके पास यह वादा पूरा करने की शक्ति है?
यह वादा किए यीशु को दो साल भी नहीं हुए थे कि उसने बड़े ही ज़बरदस्त तरीके से यह साबित कर दिखाया कि उसके पास पुनरुत्थान करने की न सिर्फ इच्छा है बल्कि शक्ति भी है।
“हे लाजर, निकल आ!”
वह बड़ा ही दर्दनाक नज़ारा था। लाजर इतना बीमार था कि उसके बचने की उम्मीद नज़र नहीं आती थी। उसकी दोनों बहनें, मरियम और मार्था यरदन पार यीशु के पास खबर भेजती हैं: “हे प्रभु, देख, जिस से तू प्रीति रखता है, वह बीमार है।” (यूहन्ना 11:3) वे जानती हैं कि यीशु लाजर को बहुत प्यार करता है। तो क्या इसमें कोई शक है कि यीशु अपने बीमार दोस्त को देखने नहीं आएगा? लेकिन अजीब-सा लगता है कि लाजर को देखने फौरन बैतनिय्याह जाने के बजाय, यीशु वहीं और दो दिन के लिए रुका रहता है।—यूहन्ना 11:5, 6.
यीशु को लाजर की बीमारी की खबर भेजने के कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो जाती है। जब लाजर मरता है तो यीशु को मालूम हो जाता है और वह उसके बारे में कुछ करने की सोचता है। जब तक यीशु बैतनिय्याह पहुँचता है, तब तक उसके प्यारे दोस्त को मरे चार दिन गुज़र चुके होते हैं। (यूहन्ना 11:17, 39) क्या यीशु एक ऐसे आदमी को दोबारा ज़िंदा कर पाता जिसे मरे हुए काफी समय बीत गया था?
जब मार्था को, जो काम करने में बहुत जोशीली है, पता चलता है कि यीशु आ रहा है, तो वह दौड़कर उससे मिलने जाती है। (लूका 10:38-42 से तुलना कीजिए।) मार्था का दुःख देखकर यीशु को उस पर तरस आता है इसलिए वह उसे यह कहकर दिलासा देता है: “तेरा भाई जी उठेगा।” मार्था कहती है कि उसे विश्वास है कि भविष्य में मरे हुओं का पुनरुत्थान किया जाएगा। तब यीशु उसे साफ शब्दों में कहता है: “पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।”—यूहन्ना 11:20-25.
यीशु लाजर की कब्र के पास पहुँचने पर कहता है कि कब्र के द्वार पर से पत्थर हटा दिया जाए। फिर वह ज़ोर से प्रार्थना यूहन्ना 11:38-43.
करता है और फिर यह आज्ञा देता है: “हे लाजर, निकल आ।”—वहाँ मौजूद सब की नज़रें कब्र पर ही गड़ी थीं। तब अँधेरे में से कोई बाहर निकलता हुआ नज़र आता है। उसके हाथ-पाँव कपड़े में लिपटे हुए थे और चेहरा भी एक कपड़े से ढका हुआ था। यीशु आज्ञा देता है: “उसे खोलकर जाने दो।” उसके शरीर पर से आखिरी पट्टी के ज़मीन पर गिरते ही सभी देखते हैं कि यह लाजर ही है, जिसे मरे चार दिन हो चुके थे!—यूहन्ना 11:44.
क्या यह सच्ची कहानी है?
सुसमाचार की किताब यूहन्ना में लाजर के जिलाए जाने की घटना को एक सच्चे इतिहास के तौर पर पेश किया गया है। इसमें दिया गया ब्यौरा इतना स्पष्ट है कि इसे मनगढ़ंत कहानी नहीं कहा जा सकता। इसकी सच्चाई पर सवाल खड़े करने का मतलब होगा, बाइबल में दर्ज़ सभी चमत्कारों पर, यहाँ तक कि खुद यीशु मसीह के पुनरुत्थान पर भी सवाल उठाना। और यीशु के पुनरुत्थान को मानने से इंकार करने का मतलब है सारी मसीही शिक्षाओं को मानने से इंकार कर देना।—1 कुरिन्थियों 15:13-15.
दरअसल, अगर आपको परमेश्वर के वजूद में विश्वास है, तो आपको पुनरुत्थान में विश्वास करने में कोई मुश्किल नहीं होनी चाहिए। इस उदाहरण पर गौर कीजिए: एक आदमी मरने से पहले चाहे तो अपनी अंतिम इच्छा और वसीयत की विडियो रिकॉर्डिंग करा सकता है। और उसकी मौत के बाद उसके रिश्तेदार और दोस्त उसे विडियो में देख सकते हैं और सुन सकते हैं कि उसने अपनी संपत्ति के इस्तेमाल के बारे में क्या कहा था। आज से करीब सौ साल पहले ऐसी विडियो रिकॉर्डिंग के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था। यहाँ तक कि आज भी संसार के दूर-दराज़ इलाकों में रहनेवाले कुछ लोगों के लिए विडियो रिकॉर्डिंग जैसी टॆकनॉलजी एक बड़ा करिश्मा है। ज़रा सोचिए कि अगर इंसान, सिरजनहार द्वारा सृष्टि में ठहराए गए नियमों की मदद से बीती घटनाओं को दोबारा दिखा सकता और सुना सकता है, तो क्या सिरजनहार इससे भी बड़े-बड़े काम नहीं कर सकता? तो क्या यह विश्वास करना सही नहीं कि जिस सिरजनहार ने जीवन की सृष्टि की थी, वह एक ज़िंदगी की दोबारा सृष्टि करने की ताकत रखता है?
जब लाजर को दोबारा ज़िंदा किया गया तो इस चमत्कार से यीशु पर और पुनरुत्थान पर लोगों का विश्वास और मज़बूत हुआ। (यूहन्ना 11:41, 42; 12:9-11, 17-19) यह दिल को छू लेनेवाली घटना है जो दिखाती है कि यहोवा और उसके बेटे के दिल में पुनरुत्थान करने की कितनी गहरी इच्छा है।
‘परमेश्वर अभिलाषा करता है’
लाजर के मरने पर यीशु ने जो भावनाएँ ज़ाहिर कीं उनसे हम जान सकते हैं कि परमेश्वर का पुत्र कितना दयालु है। इस अवसर पर उसने जो गहरी भावनाएँ दिखाईं उनसे यह साफ मालूम पड़ता है कि वह मरे हुओं को दोबारा जिलाने की कितनी गहरी अभिलाषा रखता है। हम पढ़ते हैं: “जब मरियम वहाँ पहुँची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके चरणों पर गिर पड़ी और कहने लगी, ‘प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता।’ जब यीशु ने उसे और उसके साथ आए यहूदियों को भी रोते देखा, तो वह आत्मा में अत्यन्त व्याकुल और दुखी हुआ, और कहा, ‘तुमने उसे कहाँ रखा है?’ उन्होंने उस से कहा, ‘प्रभु, चलकर देख ले।’ यीशु रो पड़ा। अत: यहूदी कहने लगे, ‘देखो वह उस से कितना प्रेम करता था।’”—यूहन्ना 11:32-36, NHT.
यीशु के मन में कैसी करुणा की भावना थी, यह इन शब्दों से मालूम पड़ता है: ‘अत्यन्त व्याकुल हुआ,’ “दुखी हुआ” और “रो पड़ा।” मूल भाषा में इस घटना का ब्यौरा देने के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उनसे यह ज़ाहिर होता है कि अपने प्यारे दोस्त लाजर की मौत पर और लाजर की बहनों को रोते देखकर यीशु को इतना गहरा दुःख पहुँचा था कि उसकी आँखें भर आयीं। a
सबसे अनोखी बात यह है कि यीशु ने लाजर से पहले भी दो जनों का पुनरुत्थान किया था। और इस बार भी उसने पूरी तरह ठान लिया था कि वह लाजर का पुनरुत्थान करेगा। (यूहन्ना 11:11, 23, 25) लेकिन फिर भी वह “रो पड़ा।” इससे मालूम पड़ता है कि मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा करना यीशु के लिए सिर्फ कोई प्रक्रिया नहीं है। लाजर के मामले में उसने जो करुणा और गहरी भावनाएँ ज़ाहिर कीं उनसे साफ पता चलता है कि वह मौत से होनेवाले बुरे अंजामों को दूर करने के लिए कितना बेताब है।
लाजर का पुनरुत्थान करते वक्त यीशु ने जो प्यार और करुणा की भावनाएँ दिखाईं, उनसे यह मालूम पड़ा कि वह मौत के बुरे अंजामों को दूर करने की गहरी इच्छा रखता है
यीशु हर बात में हू-ब-हू यहोवा परमेश्वर के “स्वरूप का यथावत प्रतिनिधि” है इसलिए हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता यहोवा से कुछ कम उम्मीद नहीं करते। (इब्रानियों 1:3, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) यहोवा पुनरुत्थान करने की कितनी गहरी इच्छा रखता है, इसके बारे में वफादार पुरुष अय्यूब ने कहा था: “यदि मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? . . . तू मुझे बुलाता, और मैं बोलता; तुझे अपने हाथ के बनाए हुए काम की अभिलाषा होती।” (तिरछे टाइप हमारे।) (अय्यूब 14:14, 15) मूल भाषा के जिस शब्द का यहाँ ‘तुझे अभिलाषा होती’ अनुवाद किया गया है वह परमेश्वर के मज़बूत इरादे और गहरी इच्छा को सूचित करता है। (उत्पत्ति 31:30; भजन 84:2) सचमुच, यहोवा पुनरुत्थान करने के लिए कितनी बेसब्री से इंतज़ार करता होगा।
क्या हम भरोसा रख सकते हैं कि पुनरुत्थान का वादा सचमुच पूरा होगा? बिलकुल, इसमें शक की ज़रा भी गुंजाइश नहीं कि यहोवा और उसका बेटा दोनों ही इस वादे को पूरा करने की गहरी इच्छा रखते हैं और उनमें ऐसा करने की ताकत भी है। यह आपके लिए क्या मायने रखता है? यही कि आपके जो अज़ीज़ मर चुके हैं, उनसे आप इसी धरती पर दोबारा मिल सकते हैं। उस समय धरती पर बिलकुल अलग माहौल होगा।
यहोवा परमेश्वर, जिसने शुरू में एक खूबसूरत बाग में इंसान को ज़िंदगी दी थी, उसने यह वादा किया है कि वह अपने स्वर्गीय राज्य के ज़रिए इस धरती को दोबारा एक फिरदौस में बदल देगा। उस राज्य का राजा यीशु मसीह होगा जो आज अपनी पूरी महिमा में है। (उत्पत्ति 2:7-9; मत्ती 6:10; लूका 23:42, 43) दोबारा बसाए गए उस फिरदौस में, सभी इंसानों को हमेशा-हमेशा तक जीने का मौका मिलेगा। फिर उन्हें किसी भी तरह की बीमारी या रोग नहीं होगा। (प्रकाशितवाक्य 21:1-4. अय्यूब 33:25; यशायाह 35:5-7 से तुलना कीजिए।) उस वक्त, नफरत, जाति-भेद, जातियों में आपसी हिंसा और आर्थिक शोषण भी बीती बातें बन जाएँगी। ऐसी साफ-सुथरी धरती पर यहोवा परमेश्वर, यीशु मसीह के ज़रिए मरे हुओं को दोबारा ज़िंदा करेगा।
यीशु मसीह के छुड़ौती बलिदान के आधार पर किए जानेवाले पुनरुत्थान से सभी जातियों को खुशी मिलेगी
इस भाग की शुरूआत में बताई गई स्त्री ने भी यही आशा पाई है। उसकी माँ की मौत के कई सालों बाद यहोवा के साक्षियों ने बाइबल का गहराई से अध्ययन करने में उसकी मदद की। वह याद करती है: “पुनरुत्थान की आशा के बारे में सुनकर मैं रो पड़ी। यह जानकर मुझे कितना ताज्जुब हुआ कि मैं अपनी माँ को दोबारा देख सकूँगी।”
अगर आपका मन भी अपने किसी अज़ीज़ को दोबारा देखने के लिए तरस रहा है, और अगर आप जानना चाहते हैं कि आपको भी यह पक्की आशा कैसे मिल सकती है, तो इस बारे में आपकी मदद करने में यहोवा के साक्षियों को बेहद खुशी होगी। क्यों न अपने किसी नज़दीकी किंगडम हॉल में जाकर उनसे मुलाकात करें या फिर पेज 32 पर दिए गए किसी नज़दीकी पते पर उनको खत लिखें।
a “अत्यन्त व्याकुल” के लिए बाइबल में जो यूनानी शब्द इस्तेमाल किया गया है, वह एक क्रिया (एम्ब्रिमाओमाइ) से निकलता है जिसका मतलब है, बहुत दर्द महसूस करना या गहरी वेदना होना। बाइबल के एक विद्वान कहते हैं: “यहाँ इस शब्द का यही मतलब हो सकता है कि यीशु के दिल में ऐसा दर्द उठा कि वह कराहने लगा।” “दुखी हुआ” का अनुवाद जिस यूनानी शब्द, (टरास्सो) से हुआ, उसका मतलब है, ‘मन में हलचल पैदा होना।’ एक कोशकार के मुताबिक इस शब्द का मतलब है, “मन में खलबली मचना, . . . भारी शोक या दुःख महसूस करना।” शब्द, “रो पड़ा” एक यूनानी क्रिया (डैक्रियो) से अनुवाद किए गए हैं, जिनका अर्थ है, “आँसू बहाना, मन-ही-मन विलाप करना।”